प्रयागराज: नैनी सेंट्रल जेल ब्रिटिश राज के दौरान बनाई गई सबसे महत्वपूर्ण जेलों में से एक है. इसको सुधारात्मक जेल की भी संज्ञा दी गई है, क्योंकि इस जेल में कैदियों को सुधार कर उनको जीवन यापन करने की सीख दी जाती है, ताकि यह जेल से बाहर जाने के बाद फिर से अपराध में लिप्त न हों और मुख्य धारा से जुड़ सकें. इस पूरे कोरोना काल में जेल प्रशासन ने इन कैदियों के माध्यम से करोड़ों रुपए भी कमाए हैं.
निखारा जाता है कैदियों का हुनर
उत्तर प्रदेश की सभी जेलों में से नैनी सेंट्रल जेल काफी प्रसिद्ध है. इस जेल का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इस जेल का बहुत बड़ा योगदान रहा है. इस जेल में कैदी कैद में रहते हुए भी अपने हुनर को बाहर ला सकते हैं, क्योंकि इस जेल में कैदियों को सही राह पर लाने के लिए उनके मनपसंद हुनर को निखारा जाता है, ताकि बाहर निकल कर वह मुख्य धारा में आ सकें. इनके द्वारा बनाए गए फर्नीचर को हाईकोर्ट और जिला अदालतों में इस्तेमाल किया जाता है. जेल में आने के बाद इन कैदियों का हुनर देखते बनता है. यह कैदी पूरे मन और लगन से जिस तरह से इन फर्नीचरों को तैयार करते हैं ऐसे में लगता है कि किसी व्यवसायिक गोदाम में माहिर कलाकारों द्वारा यह कार्य किया जा रहा हो.
नैनी सेंट्रल जेल में कैदियों ने बनाया फर्नीचर मनचाही लकड़ी से बनवा सकते हैं फर्नीचर
जेल अधीक्षक पीएन पाण्डेय का कहना है कि जब कोरोना महामारी के चलते पूरा देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, उस वक्त इन कैदियों ने पूरी गाइडलाइन का पालन करते हुए जेल के लिए करोड़ों रुपए का काम किया था. लॉकडाउन खुलने के बाद इनके बनाए फर्नीचर को हाईकोर्ट और जिला अदालतों में भिजवा दिया गया था. ये लगभग 100 लॉकर्स की लोहे की अलमारी भी बनाते हैं. इन फर्नीचर को अभी तक जेल के कर्मचारियों और अधिकारियों, सरकारी ऑफिस या हाईकोर्ट जिला न्यायालय के लोग खरीद सकते थे, लेकिन अब इसको मार्केट में उतारने की योजना है. जिससे आम आदमी भी इसका लाभ उठा सकें, क्योंकि बाजार में अच्छे दाम को देकर भी सही चीज नहीं मिल पाती है, लेकिन इस जेल में मनचाही लकड़ी से अब हर आम आदमी फर्नीचर बनवाने का ऑर्डर दे सकते हैं.
आमदनी को कैदियों में बांटा जाता है
जेल अधीक्षक का कहना है कि पुनर्वास इसका मुख्य उद्देश्य है. हाईकोर्ट से रैक और फर्नीचर के और भी ऑर्डर मिले हैं. कोरोना महामारी के चलते जो कैदी पैरोल पर गए थे. उसके बाद भी इस कार्य में कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि दूसरे कैदियों को प्रशिक्षण देकर कार्य जारी रखा गया. उन्होंने बताया कि इन फर्नीचरों को देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि यह मार्केट के फर्नीचरों से कम है. इनकी बिक्री से जो आमदनी होती है उसको बोनस के रूप में इन कैदियों में बांट दिया जाता है, जिससे बाहर निकले के बाद इनको इधर उधर भटकना न पड़े.