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प्रयागराज में टूटा गंगा-यमुना का कहर, हजारों लोग हुए बेघर - प्रयागराज समाचार

प्रयागराज में लोगों पर गंगा-यमुना का कहर टूट पड़ा है. दोनों नदियों का लगातार बढ़ रहे जलस्तर से बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों में पहुंच गया है. इससे लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. वहीं जो घर छोड़कर नहीं जा रहे हैं उन्हें तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रयागराज में बाढ़

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Published : Sep 18, 2019, 10:28 PM IST

प्रयागराज: जिले के तटीय इलाकों में गंगा-यमुना का कहर बढ़ गया है. बुधवार सुबह से ही दोनों नदियां उफान पर हैं. शहर के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस जाने से वह घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों को मिलाकर हजारों की संख्या में लोग अपनी जान बचाकर रिश्तेदारों और राहत शिविर में रहने के लिए मजबूर हैं.

घरों में घुसा गंगा-यमुना का पानी.

कई परिवार छतों पर रहने को मजबूर
बघाड़ा में पानी का भराव अधिक होने से दो से ढाई हजार परिवार बाढ़ में डूबे अपने घर की छतों पर रहने को मजबूर हैं. सामान चोरी होने के डर से वह अपना घर नहीं छोड़ पा रहे हैं. ये लोग नाव के जरिये आवागमन कर रहे हैं. बघाड़ा के निचले इलाकों में 8 से 10 फीट गहराई तक पानी पहुंच गया है.

बाढ़ में फंसे लोगों से हो रही ठगी
स्थानीय निवासी गौरव बताते हैं कि जिस घर में वह रहते हैं उसका निचला भाग पूरी तरह से पानी में डूब गया है. जिसकी वजह हम सभी दूसरे मंजिल में रहने के मजबूर हैं. हमारे साथ कई परिवार भी शामिल हैं. यहां प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. शाम होते ही नाव में बैठकर कुछ लोग खाने का सामान, पीने का पानी, ब्रेड, मिट्टी का तेल और दिया बेचने आते हैं. बाढ़ में फंसे होने की वजह से मनमाने दाम लगाकर सामान बेचते हैं.

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गौरव ने बताया कि एक पानी का बोतल मार्केट में 20 रुपये का है तो उसका रेट 50 रुपये लगाकर देते हैं. इसी तरह से मिट्टी का तेल 60 से 70 रुपये लीटर बेचते हैं. पानी में फंसे होने की वजह से सामान खरीदना मजबूरी बन गई हैं.
नाव की है कमी

पार्षद नितिन यादव ने बताया कि बघाड़ा सबसे निचला इलाका है जिसकी वजह से यहां बहुत तेजी के साथ दोनों नदियों का जलस्तर बढ़ता है. इस समय बघाड़ा में ढाई हजार से अधिक घर जलमग्न हो गए हैं. बहुत से लोग अपने छत पर रहे हैं. उनके आने जाने के लिए नावों की बहुत कमी है. बघाड़ा बहुत बड़े इलाकों में से एक है. यहां सिर्फ प्रशासन की तरफ से दो नाव दी गई हैं. हमारी प्रशासन से मांग है कि यहां पर कम से कम 10 नाव की व्यवस्था की जाए और पानी में फसे लोगों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की जाए.

पलायन को मजबूर हुए लोग
गंगा-यमुना का जलस्तर तेजी के साथ बढ़ने से बुधवार तक 40 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. कुछ लोग अपने घर के छतों पर डेरा जमाए हुए हैं तो कुछ पलायन करने को मजबूर हैं. जनपद में कई गांव ऐसे हैं जो चारों तरफ पानी से घिर चुके हैं. इनमें झूसी के नजदीक बदरा, सनवती, गोड़वा, पैगम्बर पुर, नैनी, छतनाग और यमुना नदी से सटे मेजा और जारी के इलाकों के कई गांव बाढ़ के पानी से प्रभावित हो गए हैं. वहीं शहरी इलाकों में राजपुर, सलोरी, छोटा बघाड़ा, बेली, करेली आदि निचले इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.

बढ़ रहा नदियों का जलस्तर

गंगा नदी का जलस्तर फाफामऊ की ओर 84.91 सेंटीमीटर तक पहुंच गया है. छतनाग की तरफ जलस्तर 84.23 सेंटीमीटर तक पहुंचा. वहीं दूसरी ओर यमुना नदी का जलस्तर नैनी की ओर 84.73 सेंटीमीटर तक पहुंच गया है. दोनों नदियां डेंजर लेवल पार कर बह ही हैं. गंगा-यमुना नदियों का जलस्तर प्रतिघंटे एक से डेढ़ सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है. प्रशासन ने प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए बताया है कि आने वाले छह दिनों तक गंगा यमुना के जलस्तर में बढोत्तरी होगी.

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