प्रयागराज: देश की आजादी के लिए सन 1857 में हुई क्रांति के दौरान प्रयागराज भी अछूता नहीं रहा. आजादी के मतवालों और आजादी के लिए मर मिटने वाले वीर सपूतों के चलते 1857 में 7 से 16 जून तक प्रयागराज आजाद रहा. आजाद इसलिए क्योंकि भारतीयों ने प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किए और कानून व्यवस्था संभाली.
क्रांति की इस पहली आजादी का 10 दिवसीय उत्सव आज से प्रयागराज में शुरू हो गया है. इसके तहत चौक स्थिति नीम के पेड़ से चार कदम शहीदों के नाम पदयात्रा निकाली गई. यह पदयात्रा चौक से शुरू होकर खुसरूबाग पर समाप्त हुई. इस पदयात्रा की अगुआई प्रयागराज परिक्षेत्र के आई जी डॉ राकेश सिंह ने की. इसमें भारी संख्या में लोगों ने शामिल होकर अमर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया. बता दें कि 1857 में हुई क्रांति के दौरान विद्रोहियों ने खुशरोबाग में अपना मुख्यालय बनाया था. इस पदयात्रा के माध्यम से ज्ञात-अज्ञात शहीदों को श्रद्धांजलि व उनको नमन किया गया.
प्रयागराज की पहली आजादी का महोत्सव: शहीदों की याद में निकाली गई पदयात्रा
1857 में 7 से 16 जून तक प्रयागराज आजाद रहा. आजाद इसलिए क्योंकि भारतीयों ने प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किए और कानून व्यवस्था संभाली.
आजादी उत्सव के इस कार्यक्रम के तहत आयोजित चार कदम शहीदों के नाम में शामिल आईजी डॉ राकेश सिंह ने बताया कि भारत में 1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश की आजादी के लिए लियाकत अली जैसे वीर सपूतों ने अपनी कुर्बानी दी, जिसके चलते प्रयागराज हमारा 10 दिनों के लिए आजाद रहा. आज इस पद यात्रा के माध्यम से हम उनको श्रद्धांजलि दे रहे हैं. यह हमारे लिए बहुत ही गर्व का विषय है. साथ ही साथ हम उनके सपनों के भारत को बनाने में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं. इससे उनको सच्ची श्रद्धांजलि मिल सके. आज इस कार्यक्रम में इतने लोग शामिल हुए यह हमारे लिए गौरव की बात है.
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