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प्रयागराजः माघ मेला में किसानों ने सीखा कृषि-वानिकी के गुण - माघ मेले में किसानों ने सीखा कृषि वानिकी के गुण

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के माघ मेले में फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर इको रिहैबिलिटेशन की तरफ से आयोजित शिविर में किसानों को कृषि वानिकी के गुण सीखाए गए. साथ ही किसानों को बताया गया कि कृषि वानिकी के माध्यम से भूमि व जल संरक्षण कर मृदा की उर्वरा शक्ति में भी कैसे वृद्धि की जा सकती है.

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माघ मेले में कृषि वानिकी के गुण.

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Published : Feb 2, 2020, 10:36 PM IST

प्रयागराजः भारत सरकार किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए कृषि विविधीकरण पर बल दे रही है. इसके लिए सरकार खेती किसानी के साथ-साथ कृषि के अन्य तौर-तरीकों पर भी जोर दे रही है. इसी के तहत संगम नगरी में आयोजित माघ मेले में फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर इको रिहैबिलिटेशन के चल रहे शिविर में किसानों को कृषि वानिकी के बारे में जागरूक किया गया. इसमें किसानों को कृषि वानिकी के माध्यम से आय को दुगनी करने के बारे में बताया गया.

माघ मेले में कृषि वानिकी के गुण.

हरित क्षेत्र बढ़ाने का एकमात्र उपाय कृषि वानिकी
कार्यक्रम में किसानों को जानकारी देते हुए फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर फॉर इको रिहैबिलिटेशन के प्रभारी डॉ. संजय सिंह ने बताया कि सघन जनसंख्या वाले प्रदेश में हरित क्षेत्र बढ़ाने का एकमात्र उपाय कृषि वानिकी है. इससे खाद्यान्न को बढ़ाने के साथ-साथ बहुउद्देशीय से ईंधन चारा व फलियां इमारती लकड़ी प्राप्त हो सकती हैं. इसका सबसे अधिक फायदा भूमि के कटाव के रोकथाम की जा सकती है. साथ ही साथ किसान कृषि वानिकी के माध्यम से भू व जल संरक्षण कर मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं.

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किसानों को पौध वितरण
केंद्र की वैज्ञानिक डॉ. कुमुद दुबे ने किसानों को जानकारी दी कि इसके माध्यम से बेकार पड़ी बंजर, ऊसर, बीहड़ भूमि पर घास और बहुउद्देशीय वृक्ष लगाकर इन्हें उपयोग में लाया जा सकता है. साथ ही साथ इससे भूमि सुधार भी किया जा सकता है.

डॉ. कुमुद दुबे ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि कृषि वानिकी के अंतर्गत ऐसे वृक्षों को उगाना चाहिए जो बहुत तेज बढ़ने वाले हों. कृषक अपने लाभ हेतु कम समय में उपज प्राप्त कर सकते हैं. वहीं प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान किसानों को पौध वितरण भी किया गया.

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