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बाबरी विध्वंस की पूरी कहानी, सुनिए चश्मदीद फोटो पत्रकार की जुबानी

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Published : Sep 30, 2020, 9:24 PM IST

अयोध्या में हुए बाबरी विध्वंस मामले में लखनऊ सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. बाबरी विध्वंस के समय वहां मौजूद रहे फोटो पत्रकार एसके यादव से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. ईटीवी भारत के साथ सुनिए इस खास बातचीत के कुछ अंश...

चश्मदीद फोटो पत्रकार की जुबानी
चश्मदीद फोटो पत्रकार की जुबानी

प्रयागराज: बाबरी विध्वंस मामले में बुधवार को सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. मामले में सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. इसी घटना को लेकर चश्मदीद गवाह रहे एसके यादव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि 6 दिसम्बर 1992 में मैं बतौर फोटो पत्रकार अयोध्या जिले में कवरेज के लिए गया था और यह घटना मेरे आंखों के सामने घटित हुई.

फोटो पत्रकार एसके यादव से ईटीवी भारत ने खास बातचीत

एसके यादव ने बताया कि बाबरी विध्वंस की घटना की बहुत सी फोटो आज भी मेरे पास मौजूद है. इस घटना को लेकर सीबीआई ने मुझे चश्मदीद गवाह भी बनाया. उन्होंने बताया कि जब मैने गवाही देने से मना किया तो वारंट काटने की भी बात कही गई. न्यायालय ने मुझसे लिखित और मौखिक गवाही से जानकारी भी ली.

आंखों के सामने घटी सारी घटना
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फोटोग्राफी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एसके यादव ने बताया कि 1992 में मैं नार्दन इंडिया पत्रिका के लिए बतौर फोटो पत्रकार काम कर रहा था. मैं अयोध्या में कवरेज के लिए गया था. हर दिन की तरह 6 दिसंबर को अयोध्या में जनसभा को कवर करने हम सभी पत्रकार वहां पर मौजूद थे. तभी लगभग 12 बजे तक सभा के पीछे कुछ हलचल की आवाज आई और भारी संख्या की भीड़ मस्जिद की तरफ कूच करती नजर आई. इस सारे घटनाक्रम को कवर करने के लिए आगे बढ़ा तो कुछ लोगों ने पत्रकारों को रोका. इसके बाद जब हंगामा तेज हुआ तो, भीड़ से निकलकर हमने अपने कैमरे के साथ मस्जिद के पीछे वाले हिस्से में जाकर फोटो खींची. भीड़ में जमा लोगों ने बड़े-बड़े लोहे के हथियार लेकर मस्जिद को ढहाने का काम किया. ये सारी घटना मैं अपनी आंखों देखता रहा और फोटो पत्रकार होने के नाते अपने कैमरे में भी इस घटना को कैद किया.

फोटो पत्रकार एसके यादव से ईटीवी भारत की खास बातचीत.
'चार लाख कारसेवकों की थी भीड़'
चश्मदीद फोटो पत्रकार ने बताया कि अयोध्या में एक हफ्ते पहले ही कवरेज के लिए मैं गया था, लेकिन छह दिसंबर को जब बड़े-बड़े नेता वहां पर पहुंचे तो उस दिन लगभग चार लाख कारसेवकों की भीड़ जमा रही. नेताओं का भाषण चल रहा था कि तभी कुछ कारसेवकों भीड़ से अलग-अलग होकर हथियार लेकर जा रहे थे. इसी के कुछ देर बार मस्जिद पर हमला बोल दिया गया.

'फोटो खींचने पर मौजूद भीड़ ने किया था विरोध'
फोटोग्राफी प्रोफेसर सुरेंद्र यादव ने बताया कि जब भीड़ से कुछ हथियार लेकर जा रहे कारसेवकों की फ़ोटो हम लोगों ने क्लिक करनी चाही तो वहां भीड़ के सदस्यों ने विरोध किया. मेरे कैमरे के सामने कुछ कारसेवकों ने हाथ लगाकर मना किया, जिसके बाद वहां से निकलकर सभा मंच के ऊपर पहुंचा. मैने देखा कि वहां पर बड़े-बड़े दिग्गज नेता जैसे मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल सहित तमाम नेता सभा को संबोधित कर रहे थे.

'पत्रकारों के ऊपर हुआ था हमला'
एसके यादव ने बताया कि सभा चल रही थी और उसके बाद लगभग 12 बजे तेज आवाज आने लगी, जब मैंने जब सभा छोड़कर मस्जिद की तरफ देखा तो वहां पर बहुत से लोग मस्जिद के ऊपर चढ़े थे और हथौड़े, रॉड जैसे कई हथियार से तोड़फोड़ करने में जुटे थे. इसके बाद जब मैं फ़ोटो खींचने के लिए और नजदीक गया तो भीड़ में शामिल लोगों ने हमारे ऊपर हमला कर दिया. भीड़ में शामिल उपद्रवियों ने मारने-पीटने के बाद कैमरा भी छीन लिया. कुछ देर बाद एक स्वंयसेवक ने आकर मेरी जान बचाई और कैमरे को वापस भी कराया. उस समय बहुत से पत्रकारों के ऊपर हमला किया गया था.

'वासुदेवानंद सरस्वती ने बचाई थी पत्रकारों की जान'
एसके यादव ने बताया कि जब भीड़ ने पत्रकारों के ऊपर हमला किया तो सभी पत्रकार स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज के आश्रम के पास पहुंचे. इसके बाद महाराज ने सभी पत्रकारों को आश्रम के एक कमरे में बंद कर किसी तरह उनकी जान बचाई. उसी कमरे के अंदर से खिड़की से भीड़ का आक्रोश भी दिख रहा था, लेकिन कैमरा छिन जाने की वजह से उस पल की तस्वीर नहीं खींच सका.

सीबीआई ने वारंट जारी करने की कही थी बात
एसके यादव ने बताया कि मैं इस मामले में बतौर फ़ोटो पत्रकार के रूप में शामिल था, इसलिए मैं गवाही देने से बच रहा था. लेकिन सीबीआई ने कहा कि अगर आप गवाही नहीं देते हैं तो आप के खिलाफ वारंट जारी होगा और गिरफ्तारी भी हो सकती है. इसलिए एक जिम्मेदार नागरिक होने के चलते मैंने अपनी गवाही न्ययालय में दी. मेरे पास न्यायालय से दो बार समन आया और दोनों बार मैंने लिखित और मौखिक गवाही न्यायालय और सीबीआई को दी. गवाही में जैसा मैंने पूरे घटना को देखा वैसे हूबहू जज साहब को बताया. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मीडिया सेंट्रल के फोटोग्राफी प्रोफेसर एसके यादव ने कहा कि बाबरी विध्वंस मामले के इस फैसले मैं ज्यादा संतुष्ट नहीं हूं. 6 दिसंबर 1992 को जो घटना घटी, वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन किया गया था.

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