उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

रेल इंजन से पैदा हो रही बिजली, विभाग को हुआ करोड़ों का फयादा

आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल से रेलवे अब रेल के इंजन से बिजली पैदा कर रहा है. इससे विभाग को करोड़ों का फायदा भी आ रहा है. आखिर क्या है यह आधुनिक तकनीकी और इंजन से बिजली कैसे बन रही है, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...

etv bharat
उत्तर मध्य रेलवे

By

Published : Jul 14, 2022, 6:46 PM IST

प्रयागराजःट्रेन को खींचने वाले इंजन इन दिनों बिजली पैदा करने का काम कर रहे हैं. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रेलवे न सिर्फ बिजली बना रहा है बल्कि इससे रेलवे की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. सवारी और मालगाड़ी के तीन फेज वाले रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम इंजन में ब्रेक लगाने के दौरान बिजली बनती है, जो ओवरहेड इलेक्ट्रिक केबल के जरिए ग्रिड में वापस चली जाती है. जिससे इन इंजन के बिजली खर्चे में कमी आ रही है. इससे बीते तीन महीने में ही रेलवे को करोड़ों का फायदा हुआ है.

सीपीआरओ शिवम शर्मा

चलती ट्रेन में ब्रेक लगाने से बन रही है बिजली
उत्तर मध्य रेलवे के 267 ट्रेन इंजन इन दिनों सफर के दौरान पटरी पर दौड़ते समय बिजली पैदा कर रहे हैं. मालगाड़ी के साथ ही सवारी गाड़ियों के इंजन भी शामिल हैं. अप्रैल से जून 2022 के बीच मात्र तीन महीने में इन इंजनों के द्वारा 6 करोड़ यूनिट बिजली बनाकर वापस ग्रिड को भेजी जा चुकी है. जिससे उत्तर मध्य रेलवे को 36 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. आने वाले दिनों में धीरे-धीरे तीन फेज वाले रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम वाले इंजन का इस्तेमाल बढ़ेगा. इसी के साथ रेलवे की बिजली के उत्पादन से करोड़ों रुपये की बचत भी होगी.

पढ़ेंः बिना टिकट यात्रा करते पकड़े गए सवा दो लाख से ज्यादा यात्री, रेलवे ने वसूला पौने 17 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना

कैसे काम करता है ये इंजन
उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ शिवम शर्मा ने बताया कि रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम उस वक्त काम करता है, जब ट्रेन के इंजन में ब्रेक का इस्तेमाल किया जाता है. ब्रेक का इस्तेमाल करते समय इंजन में लगाया गया रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम ऑन हो जाता है और इंजन में लगी मोटर जनरेटर की तरह काम करने लगती है. जिससे वहां बिजली बनती है और यही बिजली इंजन के ऊपर लगे पेंटो की मदद से ओवरहेड इलेक्ट्रिक केबल से होते हुए वापस ग्रिड में चली जाती है.

सीपीआरओ ने बताया कि ये सबकुछ तीन फेज वाले इलेक्ट्रिक इंजन की मदद से संभव हो पाया है. क्योंकि इससे पहले तक इलेक्ट्रिक रेल इंजन टू फेज वाले डीसी करंट से चलते थे. लेकिन अब ये इंजन 3 फेज वाले एसी करंट से चल रहे हैं. जिसका नतीजा है कि इंजन में तकनीक के जरिए यह बदलाव किया गया. री डिजाइन इंजनों में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगाया गया है. जिससे इंजन में ब्रेक का इस्तेमाल करते ही इंजन में लगे मोटर के कार्य में बदलाव होता है और वह जनरेटर की तरह से कार्य करने लगता है. पहियों की गति से जनरेटर की मोटर रिवर्स स्पीड में चलते अल्टरनेटर का कार्य कर बिजली बनाने लगती है. जनरेटर से वहां बिजली पैदा होने लगती है और वहीं बिजली वापस ग्रेड में चली जाती है.
पढ़ेंः श्रावणी मेला पर शिवभक्तों को रेलवे की सौगात, 6 जोड़ी स्पेशल ट्रेनों का होगा परिचालन

इस इंजन का इस्तेमाल बढ़ने से होगी रेलवे की बचत
सीपीआरओ ने कहा कि इस तरह से नई तकनीक वाले ये इंजन अपने इस्तेमाल के लिए बिजली बनाने वाले साबित हो रहे हैं. साथ ही भविष्य में तकनीक और भी विकसित हुई तो इन इंजन द्वारा पैदा की जाने वाली बिजली की मात्रा भी बढ़ेगी, जिससे रेलवे को कमाई भी हो सकती है. फिलहाल तो ये इंजन अपने इस्तेमाल के लिए ही बिजली बना रहे हैं. शुरुआत में इन इंजन द्वारा अपनी जरूरत की 14 फीसदी तक बिजली बनाई जा रही है. लेकिन उतने से भी रेलवे को करोड़ों रूपये की बचत होनी शुरू हो गयी है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details