प्रयागराज : संगम नगरी के प्रसिद्ध माघ मेले की शुरुआत मकर संक्रांति के स्नान साथ होगी. मान्यता है कि मकर संक्रांति को देवताओं के दिन की शुरुआत होती है. इसी दिन से सूर्य उत्तरायण होते है, इस दिन से शुभ कार्य करने की शुरुआत होती है. मकर संक्रांति के दिन संगम में सभी देवताओं के साथ सारे तीर्थ भी विराजमान होते हैं. यही वजह है कि इस दिन प्रयागराज में स्नान दान का विशेष फल व महत्व होता है.
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर प्रयागराज में माघ मेले की शुरुआत हो जाएगी. वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी के इस दौर में माघ मेले में स्नान करने से संक्रमण का खतरा हो सकता है. ऐसे में जो लोग माघ मेले में गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, वह घर में ही स्नान दान करके पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं.
प्रयाग को देश के सभी तीर्थों का राजा कहा जाता है. यही वजह है कि इसका नाम प्रयागराज है. माघ महीने में मकर संक्रांति के दिन सभी तीर्थ प्रयागराज में आते हैं और मकर संक्रांति के यहां आने से उन तीर्थो का पाप भी नष्ट हो जाता है.
मौनी महाराज ने रामायण के दोहे का उदाहरण देकर बताया कि माघ महीने में जिस दिन सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करते हैं. उस दिन तीर्थ में सारे देवी देवता पहुंचते हैं. सदियों से माघ मेले में मकर संक्रांति के दिन स्नान करने की परंपरा चली आ रही है. मकर संक्रांति के दिन सनातन धर्म को मानने वाले श्रद्धालु प्रयागराज आकर आस्था की डुबकी लगाते हैं.