प्रयागराज: अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती. ऐसा ही कुछ साबित करके दिखाया है, उत्तर प्रदेश प्रयागराज के ललित ने. क्रिकेट के प्रति शुरू से ही लगाव था. गली मोहल्ले से क्रिकेट की शुरुआत करने वाले ललित के साथ 2012 में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने उनकी जिन्दगी को बदल कर रख दिया. एक ट्रेन हादसे में ललित ने अपने दोनों पैर खो दिए. इसके बावजूद ललित ने क्रिकेट खेलना जारी रखा.
दिव्यांगता के अभिशाप को दूरकर क्रिकेटर ललित ने विश्व में बनाई अपनी पहचान - handicapped cricketer
प्रयागराज रानीमंडी के रहने वाले ललित ने कई लोगों के लिए मिसाल पेश की है. ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर गंवाने के बाद भी ललित ने हार नहीं मानी. अपनी मेहनत और लगन के बदौलत आज क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाई है.
क्रिकेट के प्रति शुरू से ही लगाव रखने वाले ललित ट्रेन हादसे में दोनों पैर गवा बैठे थे, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उनका दिन पर दिन क्रिकेट के प्रति जुनून और भी बढ़ता गया. वहीं, सोशल मीडिया के माध्यम से दिव्यांग कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (DCCBI) से बात की और अपने प्रदर्शन के दम पर दिव्यांग क्रिकेट इंटरनेशनल में एक ऑलराउंडर क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में अपनी जगह बना ली.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दिखाई प्रतिभा
इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत करते हुए 2017 में त्रिकोणीय टूर्नामेंट में नेपाल, भारत और बांग्लादेश, 2018 में गोरेगांव स्टेडियम मुंबई, बिलेट्राल सीरीज भारत व बांग्लादेश के साथ-साथ और भी कई नेशनल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा दिखाते रहे. उनके नेशनल और इंटरनेशनल क्रिकेट परफॉर्मेंस को देखते हुए जून 2019 में उन्हें उत्तर प्रदेश क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया और इस क्रिकेट का सफर दिन पर दिन चलता आ रहा है.
ललित का कहना है कि दिव्यांगता को कभी शारीरिक कमजोरी न समझें. उनका कहना है कि अपनी दिव्यांगता को जीवन में नीरसता का कारण न बनने दें. हमें मौका मिले तो हम कोई भी काम कर सकते हैं. हमें जरूरत है तो सिर्फ एक मौके की, जिससे हम अपने आप को साबित कर सकें. साथ ही लोगों को एक संदेश देते हुए कहा कि हम सभी व्हीलचेयर क्रिकेटरों को दया के पात्र से न देखें.