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माघ मेला 2024: शंकराचार्य को शिविर लगाने के लिए नहीं मिल रही जमीन, कर दिया ये ऐलान

संगम नगरी प्रयागराज में गंगा की रेती पर हर साल माघ मेला का आयोजन (Magh Mela in Prayagraj) किया जाता है. इस बार माघ मेला में शिविर लगाने के लिए जमीन को लेकर विवाद शुरू हो गया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 3:31 PM IST

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प्रयागराज : संगम नगरी प्रयागराज में गंगा की रेती पर हर साल माघ मेला का आयोजन किया जाता है. एक से डेढ़ महीने तक के लिये लगने वाले इस मेले में जमीन को लेकर अक्सर विवाद होता है. इस बार का माघ मेला डेढ़ महीने से कम चलेगा. इसके बावजूद मेला में जमीन के लिए विवाद होने से नहीं रुक रहा है. इस बार माघ मेला में जमीन को लेकर दो पीठ ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम पीठ और द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्यों और माघ मेला प्रशासन के बीच तलवारें खिंच गई हैं. शंकराचार्य के प्रतिनिधि जहां त्रिवेणी रोड पर ही जमीन लेना चाहते हैं, वहीं मेला प्रशासन जमीन की नई मांग को पूरी न करने की जिद पर अड़ा हुआ है. मेला प्रशासन की जिद के बाद शंकराचार्य के प्रतिनिधि श्रीधरानंद महाराज ने ऐलान कर दिया है कि उनके द्वारा बताए गए स्थान पर जमीन नहीं मिली तो दोनों पीठ के शंकराचार्य का शिविर माघ मेला में नहीं लगाया जाएगा. वहीं, मेलाधिकारी दयानंद प्रसाद का कहना है कि 'त्रिवेणी रोड के उसी स्थान पर जमीन देने में कई दूसरे लोगों को हटाना पड़ेगा. इसी कारण शंकराचार्य के प्रतिनिधि द्वारा मांगी गई अतरिक्त जमीन दूसरे स्थान पर देने के लिए बातचीत की जा रही है.

डेढ़ महीने से कम दिनों तक चलेगा माघ मेला : शंकराचार्य के प्रतिनिधि श्रीधरानंद ने बताया कि अगर एक ही स्थान पर दोनों शंकराचार्य की जमीन नहीं मिलती तो वो उनकी तरफ से माघ मेला में शिविर नहीं लगाया जाएगा. बीते कई वर्षों से ज्योतिषपीठ और द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती थे. वो अकेले ही द्वारका शारदा पीठ और ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य की गद्दी पर विराजमान थे. इसी वजह से उनकी दोनों पीठ के नाम की जमीन एक साथ एक ही स्थान पर आवंटित की जाती थी. इसी पीठ को लेकर वासुदेवानंद सरस्वती और स्वरूपानंद सरस्वती के बीच सुप्रीम कोर्ट तक में मुकदमा भी लड़ा गया था और अब वो ब्रह्मलीन हो चुके हैं तो शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के उत्तराधिकारी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती उस केस को लड़ रहे हैं.

दो शंकराचार्य के नाम पर अलग-अलग जमीन की है मांग : श्रीधरानंद का यह भी कहना है कि पहले दोनों पीठ के नाम पर स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का ही एक शिविर लगता था. जहां पर ज्योतिषपीठ के नाम पर 200×200 वर्गफिट जमीन मिलती थी. जबकि द्वारकाशारदा पीठ के नाम पर मात्र 40×200 वर्ग फीट ही जमीन ली जाती थी. क्योंकि एक शंकराचार्य होने की वजह से एक ही प्रवचन पांडाल बनता था. लेकिन अब दो पीठों पर दो शंकराचार्य हैं तो एक एक प्रवचन पांडाल दोनों के लिए बनाया जाएगा. इसी के साथ उनके रहने के लिये भी अलग-अलग व्यवस्था की जाएगी. ऐसे में पहले के बराबर जमीन दिए जाने से उनके शिविर नहीं लग पाएंगे. इसी वजह से माघ मेला प्रशासन को कई महीनों पहले ही इसकी जानकारी दे दी गई थी कि दोनों पीठ के शंकराचार्यों के लिए अलग-अलग जमीन दिया जाए. जिससे दोनों का शिविर अगल बगल एक साथ लग सके, लेकिन पहले आश्वासन देने के बाद अब मेला प्रशासन पलटी मार रहा है. जिससे आहत होकर उनकी तरफ से पूरी जमीन न मिलने पर शिविर न लगाने की बात कही गई है.

मेला प्रशासन दूसरे सेक्टर में जमीन देने को है तैयार :माघ मेला के मेलाधिकारी दयानंद प्रसाद का कहना है कि शंकराचार्यों के प्रतिनिधि श्रीधरानंद महाराज को जमीन की उपलब्धता के बारे में बताया गया है. उन्हें एक पीठ की जमीन पहले जहां त्रिवेणी रोड पर मिलती थी उसी जगह पर दी जा रही है, जबकि उनकी तरफ से एक पीठ के लिए जो अतिरिक्त जमीन 200×200 फिट की मांग की जा रही है. उस जमीन को त्रिवेणी रोड के अलावा नए बनाये गए इलाके अथवा झूंसी की तरफ दिये जाने का भी प्रस्ताव दिया गया है. लेकिन श्रीधरानंद महाराज त्रिवेणी रोड पर उसी स्थान पर नयी और पुरानी सभी जीमन दिए जाने की जिद कर रहे हैं. मेलाधिकारी का कहना है कि अगर दोनों पीठ के शंकराचार्यों की जमीन उसी स्थान पर दिया जाएगा तो कई अन्य लोगों को वहां से हटाना पड़ेगा, जिससे उनके द्वारा विवाद किया जाएगा. ऐसे हालात में मेला प्रशासन बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहा है.

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