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सिलाई, कढ़ाई बुनाई प्रशिक्षण व उत्पादन केंद्र के अनुदेशक की बर्खास्तगी रद्द

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Published : Jun 3, 2022, 9:52 PM IST

सिलाई, कढ़ाई, बुनाई प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्र प्रयागराज की प्रधानाचार्या को अनुदेशक पद पर पदावनति देकर मनमानी जांच रिपोर्ट पर प्रबंध समिति द्वारा की गई बर्खास्तगी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिलाई, कढ़ाई, बुनाई प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्र प्रयागराज की प्रधानाचार्य को अनुदेशक पद पर पदावनति देकर मनमानी जांच रिपोर्ट पर प्रबंध समिति द्वारा की गई बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. साथ ही याची को अनुदेशक पद पर बहाल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रधानाचार्य पद से पदावनति के खिलाफ याचिका लंबित है. इसलिए याची को बर्खास्तगी के समय के पद पर तत्काल बहाल किया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने पुष्पा श्रीवास्तव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. मालूम हो कि याची की नियुक्ति नेहरू बाल मंडल पंजीकृत सोसायटी के संस्थान में 30 जून 1997 को अनुदेशक के रूप में परिवीक्षा पर की गई थी. 1जुलाई 97 को उषा मिश्रा के इस्तीफे पर याची को ज्वाइन कराया गया. संस्था उस समय ग्रांट पर नहीं थी.

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याची 26 सितंबर 13 को वरिष्ठ अनुदेशक पद पर प्रोन्नत किया गया. प्राचार्य चंचल शर्मा बर्खास्त कर दी गई तो याची को प्राचार्य पद का प्रभार सौंपा गया. 29दिसंबर 17 को सात पदों के साथ केंद्र को वित्तीय सहायता दी गई. लिपिक अनीता मिश्रा के इस्तीफे पर पद विज्ञापित किया गया और कमेटी ने नीलम सिंह की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा. कमेटी में शामिल याची ने अनियमितता की आपत्ति की. वह प्रबंध समिति के एक सदस्य की रिश्तेदार हैं, जिसके प्रबंध समिति नाराज हो गई.

वहीं, एक अज्ञात व्यक्ति की शिकायत पर जांच कमेटी गठित हुई. याची निलंबित कर दी गई. कमेटी ने याची की मूल नियुक्ति को फर्जी करार दिया. तत्कालीन स्व प्रबंधक के डी मिश्र के फर्जी हस्ताक्षर सहित 23 आरोप लगाए. बिना कारण बताओ नोटिस दिए. इतना ही नहीं एक पक्षीय रिपोर्ट पर पदावनति के बाद बर्खास्त कर दिया गया, जिसे चुनौती दी गई थी. यह भी कहा गया कि बिना प्रस्ताव के पदोन्नति की गयी थी. याची को प्रबंधक के फर्जी हस्ताक्षर से नियुक्ति पाने का दोषी करार दिया.

याची का कहना था कि प्रबंधक के विरुद्ध आपत्ति जताई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की गई. नैसर्गिक न्याय का पालन किए बगैर एक पक्षीय रिपोर्ट पर बर्खास्त कर दिया गया. कोर्ट ने 3 दिसंबर 21 के बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया है.

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