प्रयागराजः संगम की रेती पर लगे माघ मेले का पांचवा प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा आज है. इस दिन संगम की रेती पर एक माह से चल रहे कल्पवास का भी समापन हो जाएगा. इसके साथ ही शिविरों से कल्पवासी अनुष्ठान के बाद अगले बरस आने का संकल्प लेकर विदा हो जाएंगी. कल्पवास की शुरुआत जनवरी पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ हुई थी. माघी पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन त्रिवेणी में ब्रह्म मुहूर्त से ही आस्था की डुबकी लगाने के लिए संगम तट पर आना शुरू कर दिया है.
ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान से पूरे माघ मास के स्नान का फल मिलता है. ब्रह्म मुहूर्त से स्नान दान शुरू हो गया है. आज के दिन गुरुदेव बृहस्पति और सूर्य दोनों एक साथ कुंभ राशि में संचरण करेंगे. इसलिए माघी पूर्णिमा पर आदित्य योग बन रहा है, जिसमें स्नान पर्व की शुभता में वृद्धि होगी.
माघ मेला प्रशासन ने पांचवें स्नान पर्व को लेकर व्यापक रूप से तैयारी की हैं. संगम तट पर बनाए गए 6 किलोमीटर लंबे स्नान घाटों पर खास इंतजाम किए गए हैं. घाटों पर जल पुलिस और गोताखोर तैनात किए गए हैं. इसके साथ ही मेले की सभी 16 इंट्री गेटों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. कोविड के संक्रमण के मद्देनजर थर्मल स्क्रीनिंग कराई जा रही है और कोविड टेस्ट भी कराया जा रहा है. माघ मेले में लोगों को वैक्सीन भी लगाई जा रही है. माघ मेले की सुरक्षा में सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जा रही है. इसके साथ ही साथ मेले में बनाए गए थानों, चौकियों और वाच टावर के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरे से भी लगातार निगरानी रखी जा रही है.