प्रयागराज: गेरुआ वस्त्र, कंधे पर कांवड़ और जुबान पर बोल बम यह दृश्य देख कर सहज ही श्रावण मास की अनुभूति होने लगती है. श्रावण मास की शुरुआत होते ही सड़कों पर के दृश्य बहुत ही मनोहारी लगते हैं. पूर्णिमा के बाद प्रयागराज के दशासुमेर घाट पर कांवड़ ले जाने वाले श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. प्रयागराज के दशासुमेर घाट पर प्रदेश सरकार शिव मेले और कांवड़ यात्रा को लेकर काफी सजग नजर आ रही है.
प्रयागराज: कांवड़ियों ने दशासुमेर घाट से शुरू की कांवड़ यात्रा
पूर्णिमा के बाद से देश में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिरों में कावड़ ले जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन शिव मेले और कावड़ यात्रा को लेकर काफी सजग है. कावड़ यात्रा के दौरान किसी को किसी तरह की दिक्कत न हो.
प्रसिद्ध शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं के कावड़ ले जाने की यात्रा शुरू.
श्रद्धालु आखिर क्यों आते हैं दशासुमेर घाट
- प्रयागराज के दशासुमेर घाट पर श्रावण मास के दौरान हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर गंगा स्नान करते हैं.
- श्रद्धालु कांवड़ में दशासुमेर घाट से जल भरकर अपनी यात्रा का शुभारंभ करते हैं.
- दशासुमेर घाट को प्रशासन ने स्वच्छ और दुरुस्त कर स्नान के लिए सुगम बनाया है.
- प्रशासन ने कांवड़ियों के लिए विश्राम स्थल भी बनाए हैं.
- धार्मिक महत्व के चलते दशासुमेर घाट पर विभिन्न राज्यों के लोग कांवड़ यात्रा के लिए जल लेने आते हैं.
- यहां से गंगाजल लेकर काशी विश्वनाथ, बाबा बैजनाथ धाम और पांडेश्वर महादेव सहित मुंगरा बादशाहपुर शिव मंदिर पर जल चढ़ाते हैं.
- दशासुमेर घाट की मान्यता है कि इस घाट से जल लेकर शिव भगवान को चढ़ाने पर सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.