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प्रयागराज: मां के द्वार पर चढ़ाना है फूल, तो मास्क न जाना भूल - प्रयागराज खबर

शनिवार से शुरु हुए शारदीय नवरात्रि से श्रद्धालु में नया उत्साह देखने को मिल रहा है, कोरोना जैसी महामारी के दौर में मंदिरों के किवाड़ खुल जाने से जहां एक तरफ लोगों में खुशी है तो वहीं सरकार की दी गई गाइडलाइन को भी श्रद्धालु पालन कर रहे हैं.

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मंदिरों के खुले कपाट.

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Published : Oct 17, 2020, 1:59 PM IST

प्रयागराज: साल 2020 में कोरोना के वजह से लोग घरों में कैद होकर जीने को मजबूर हैं. मगर मायूस लोगों को इस शारदीय नवरात्रि में मां के दर्शन का जरूर सौभाग्य प्राप्त होगा, क्योंकि सरकार की गाइडलाइन आने के बाद सभी मंदिरों के कपाट खोल दिए गए हैं. वहीं प्रयागराज के अलोपीबाग मंदिर में सरकार की दी गई गाइडलाइन बाद मंदिरों के कपाट खोल दिए गए हैं और गाइडलाइन नियमों का पालन अलोप शंकरी के मंदिर के दुकानदरों में जरूर देखने को मिल रहा है. बिना मास्क के माला फूल और पूजन सामग्री किसी को भी नहीं दी जा रही.

शारदीय नवरात्रि पर जहां घर-घर मां की स्थापना होती है, उनके अलग-अलग नौ स्वरूप की पूजा होती है. वहीं दुनिया में आस्था की धरती कही जाने वाली संगम नगरी नवरात्र में देवताओं को जागृत करने वाला माना जाता है. प्रयागराज के अलोपीबाग स्थित सिद्ध पीठ मां अलोप शंकरी के मंदिर में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन भक्तो में मां के दर्शन के लिए उत्साहित दिखे. वहीं पूजा सामग्री और माला फूल के दुकानदारों में भी कोविड-19 गाइडलाइन के नियमों का पालन करते दिखे और सभी दुकानदारों ने 2 गज दूरी मास्क है जरूरी. इन नियमों का पालन किया और माला फूल, पूजा सामग्री ,लेने वालों भक्तों को भी बिना मास्क के पूजा सामग्री नहीं दिया. वहीं माला और फूल विक्रेता नीता ने कहा कि हम लोग उन्हीं को पूजा की सामाग्री दे रहे हैं जो लोगों मास्क पहन के आ रहे हैं.

वहीं अलोपी शंकरी के दर्शन के लिए आए दिनेश मिश्रा ने कहा कि यह पर आकर अच्छा लगा कि किस तरह से यहां के दुकानदार बिना मास्क के माला फूल नहीं दे रहे हैं, साथ ही कोई मास्क पहन कर नहीं आता है तो उसको भी माला फूल नहीं दिया जा रहा है.

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