प्रयागराजः श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर मथुरा का सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है. श्री कृष्ण जन्मभूमि से जुड़ी तमाम याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. रंजना अग्निहोत्री की ओर से दाखिल याचिका में कृष्ण जन्मभूमि परिसर का सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर एक अर्जी दाखिल की गई है. जिस पर न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.
याचिका दाखिल करने वाले हिंदू पक्ष के वकीलों की मांग है कि ज्ञानवापी मस्जिद की तरह ही कृष्ण जन्म भूमि परिसर स्थित शाही ईदगाह मस्जिद का भी सर्वे कराया जाए. इसके लिए अदालत एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करें. कोर्ट से तीन अधिवक्ताओं के पैनल को कोर्ट कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने की मांग की गई है. जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा गया कि जब तक प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट और वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत मामले की बहस पूरी नहीं हो जाती है, इस अर्जी पर कोई निर्णय नहीं किया जा सकता है.
हिंदू पक्ष की ओर से इस बात का विरोध करते हुए कहा गया कि कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग पर अदालत किसी भी स्तर पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है. अपने तर्क के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णित कई निर्णयों की नजीर पेश की गई. साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद केस में दिए गए फैसले का भी हवाला देकर के कहा गया कि ज्ञानवापी मामले में भी अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह परिसर का कोर्ट कमिश्नर तथा पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वे किया जाना चाहिए. इसकी वीडियो ग्राफी और फोटोग्राफी करके पूरी रिपोर्ट अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए. यह आशंका जताई गई कि ईदगाह परिसर में दीवारों पर बने हिंदू देवी देवताओं के प्रति को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है. हिंदू पक्ष की ओर से अपने तर्क के समर्थन में कई विदेशी इतिहासकारों व तमाम पुरानी रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.
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