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जवाहर यादव हत्याकांड: करवरिया बंधु दोषसिद्धि, 4 नवंबर को कोर्ट सुनाएगी सजा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के बहुचर्चित जवाहर यादव हत्याकांड में करवरिया बंधुओं के ऊपर लगे आरोप सिद्ध हो गए हैं. अब 4 नवम्बर को कोर्ट सजा सुनाएगी.

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Published : Oct 31, 2019, 5:27 PM IST

जवाहर यादव हत्याकांड.

प्रयागराज:बहुचर्चित हत्याकांड जवाहर पंडित मामले में गुरुवार को कोर्ट हत्याकांड में आरोपी करवरिया बंधुओं को दोषी साबित कर दिया है. 23 साल पहले सिविल लाइन क्षेत्र के अंतर्गत हुए सपा नेता और विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित व दो अन्य की हत्या कर दी गई थी. कोर्ट अब 4 नवंबर को मामले में सजा सुनाएगी.

जिला सरकारी अधिवक्ता ने दी जानकारी.
जिला सरकारी अधिवक्ता गुलाब चंद अग्रहरि ने बताया कि जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित मामले में कोर्ट ने इसी माह 18 अक्टूबर को दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनकर फैसले को सुरक्षित रखा था और तारीख का निर्धारण कर दिया था. गुरुवार को इसी मामले में फैसला सुनाते हुए अपर सत्र न्यायाधीश बद्री विशाल पांडे ने धारा 147, 148, 302 और सेवन क्रिमिनल एक्ट के तहत इन्हें दोषी पाया है. अब अपर सत्र न्यायाधीश बद्री विशाल पांडेय चार नवंबर को आरोपियों को सजा सुनाएंगे.
4 नवम्बर को कोर्ट करेगी सजा का एलान
पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया, पूर्व विधान परिषद सदस्य सूरज भान करवरिया व इनसे संबंधित व्यक्ति इस हत्याकांड में आरोपी थे, जिन पर 23 सालों से मुकदमा चल रहा था. उत्तर प्रदेश में पहली बार एके-47 से जवाहर सिंह यादव नामक व्यक्ति की हत्या की गई थी, जिसमें यह तीनों आरोपी थे. इन सभी आरोपियों को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (जिला न्यायालय) के अपर सत्र न्यायाधीश बद्री विशाल पांडे ने मामले की सुनवाई करते हुए दोष सिद्ध कर दिया है.
यह था पूरा मामला
बहुचर्चित हत्याकांड 13 अगस्त 1996 को शाम सात बजे सिविल लाइन क्षेत्र के अंतर्गत कॉफी हाउस के पास सपा विधायक जवाहर पंडित, ड्राइवर गुलाब यादव और कमल कुमार दीक्षित को सरेआम एके 47 से हत्या कर दी गई थी. उस घटना में मौके पर कई लोग घायल हुए थे, जिसमें कल्लन यादव भी शामिल थे. वे चश्मदीद गवाह थे और कुछ दिन बाद इलाज के समय उनकी मृत्यु हो गई और गवाही नहीं हो सकी.मामले की रिपोर्ट सिविल लाइन थाने में दर्ज की गई और उसके बाद इस हत्याकांड को सीबीआई को सौंप दिया गया. घटना की चार्जशीट में कपिल मुनि करवरिया, उदयभान करवरिया, सूरज भान
करवरिया, राम चन्द्र त्रिपाठी और श्याम नारायण करवरिया का नाम शामिल था. इस मुकदमे की कार्यवाही हाईकोर्ट के आदेश से कई सालों तक स्थगित रही. आरोपी पक्ष द्वारा जमानत अर्जी को कोर्ट ने कई बार खारिज किया.

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