प्रयागराज : कोरोना संक्रमण की भयावह होती स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस वर्ष ग्रीष्मावकाश एक माह पूर्व मई में ही घोषित करने की मांग की है. बार की ओर से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में कहा गया है कि गर्मी की छुट्टियां जल्दी की जाएं और दस वर्ष तक की सजा वाले अपराधों में जेलों में बंद कैदियों को कम से कम आठ सप्ताह की जमानत दी जाए.
बार का कहना है कि कोरोना संक्रमण जंगल की आग की तरह फैल रहा है. इसलिए बार ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को सूचित किया है. बार के प्रस्ताव में मांग की गई है कि हाईकोर्ट को सात मई तक पूरी तरह से बंद रखा जाए. उसके बाद ग्रीष्मावकाश घोषित किया जाए. बार का कहना है कि हाईकोर्ट और जिला अदालतों पर लंबित जमानत प्रार्थनापत्रों का भारी दबाव है. अनुच्छेद 21 के तहत लोगों की स्वतंत्रता के मद्देनजर ऐसे कठिन समय में भी इन प्रार्थनापत्रों का निस्तारण आवश्यक है. यदि एक निश्चित समय के लिए इन सभी को अंतरित जमानत दे दी जाती है तो यह न सिर्फ विचाराधीन बंदियों बल्कि उच्च न्यायालय और जिला अदालतों के कर्मचारियों की जान बचा सकता है जो मौजूदा समय में कोविड वॉरियर की तरह काम कर रहे हैं. साथ ही न्यायापालिका पर भी दबाव कुछ कम होगा.
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में ग्रीष्मावकाश प्रत्येक वर्ष एक जून से होता है. मगर इस बार कोराना की वजह से पैदा हुई विषम परिस्थतियों को देखते हुए हाईकोर्ट बार ने छुट्टियां मई में ही घोषित करने की मांग है. वहीं, कैट बार एसोसिएशन की मांग पर कैट में इस बार गर्मी की छुट्टियां मई में ही घोषित कर दी गईं हैं.