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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के खिलाफ अवमानना याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना - allahabad highcourt

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में हो रहे निर्माण कार्यों के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आधे-अधूरे तथ्यों के साथ याचिका को दाखिल करना कोर्ट के समय को बर्बाद करना है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

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Published : Jun 19, 2020, 6:38 PM IST

प्रयागराज: वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में चल रहे निर्माण कार्यों के खिलाफ आधे-अधूरे तथ्यों के साथ दाखिल अवमानना याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के इस आदेश से पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के हो रहे निर्माण कार्य में अब किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं पैदा होगी. कोर्ट ने कॉरिडोर में हो रहे निर्माण कार्यों पर भी किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई है.

कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका को 5 हजार रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि एक पत्रकार और दो वकीलों ने अधूरे और गुमराह करने वाले तथ्यों के साथ कोर्ट आदेश की अवहेलना के आरोप में याचिका दाखिल की और इस दौरान उन्होंने खुद कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया.

इस पूरे मामले में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि तथ्य छिपाना वकालत नहीं होता है. कोर्ट ने अवमानना याचिका दाखिल करने वाले तीनों याचिकाकर्ताओं पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने हर्जाने की राशि काशी विश्वनाथ विशेष एरिया विकास बोर्ड में एक महीने की भीतर जमा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि साढ़े नौ लाख विचाराधीन मुकदमे हैं. ऐसी व्यर्थ की याचिकाएं न्याय प्रशासन में अवरोध उत्पन्न करने का काम कर रही है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया का महज दुरुपयोग है.

यह है पूरा मामला
कौटिल्य सोसायटी केस में गंगा किनारे 200 मीटर एरिया में अवैध निर्माण के मामले में कार्रवाई का आदेश हुआ. कोर्ट ने अधिकतम बाढ़ बिंदु से 200 मीटर तक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी. प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के निर्माण को कोर्ट के आदेश की अवहेलना करार देते हुए अवमानना याचिका दाखिल की गई. कोर्ट ने जब याचियों से दस्तावेज मांगे, तो बिना हस्ताक्षर और बिना शपथ पत्र दाखिल कर दिया गया. साथ ही कहा गया कि लॉकडाउन के कारण हलफनामा नहीं बन सका, जिसके बाद विपक्ष की ओर से इस पर आपत्ति दर्ज की गई.

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