प्रयागराजः शहर के स्लम एरिया के 200 से अधिक गरीब बच्चे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप विकास मॉडल को साकार करने में जुटे हैं. झुग्गी झोपड़ी के इन बच्चों ने एक दर्जन से अधिक लोकल स्टार्टअप शुरू कर लोगों को चौंका भी दिया है. स्लम एरिया के ये बच्चे कोई नौकरी हासिल करने के लिए नहीं बल्कि नौकरी देने के लिए अपने अपने स्टार्ट अप के जरिए कामयाबी की यह डगर पर आगे बढ़ रहे हैं.
कीडगंज इलाके में बना यह 'गली स्कूल' झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के सपनों को पूरा करने का काम कर रहा है. यह स्कूल कोई सरकारी संस्था या एनजीओ नहीं, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे जौनपुर के रहने वाले विवेक दुबे ने शुरू किया है. किसान परिवार के बेटे होते हुए भी विवेक अपने सपनों को छोड़कर इन बच्चों का जीवन संवार रहे हैं. इस 'गली स्कूल' में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता कबाड़ बीनने या मजदूरी करने का काम करते हैं. आर्थिक तंगी के चलते इन बस्तियों में रहने वाले ये बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. कई बार बस्तियों में रहने वाले बच्चे के माता-पिता इन्हें पढ़ाना भी नहीं चाहते और काम पर लगा कर पैसे कमाने भेजते हैं.
खुद के सपनों को छोड़ विवेक संवार रहे बच्चों की जिंदगी
गली स्कूल संचालित करने वाले विवेक के पिता एक किसान हैं. विवेक के एक भाई का देहांत बहुत पहले हो गया था. विवेक के पिता अपने इकलौते बेटे को पढ़ा-लिखा कर कामयाब इंसान बनाना चाहते थे. इसलिए विवेक को प्रयागराज पढ़ने के लिए भेजा था. पहले तो सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन सड़क किनारे छोटे बच्चों को काम करते देख विवेक के सपनों का मंजिल बदल गई.
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बच्चों ने कबाड़ से बनाई रहे उपयोगी वस्तुएं
इविंग क्रिश्चियन कॉलेज से विज्ञान से स्नातक करने के बाद विवेक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमएससी की पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विवेक के इस 'गली स्कूल' में 270 बच्चे निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. अपने बचे वक्त में स्लम के इन बच्चों को विवेक स्किल और साइंस की जानकारी और उसके प्रैक्टिकल भी करा रहे हैं. विवेक के इसी प्रयास से इन बच्चों ने तकनीकी रूप से भी अपने आप को मजबूत कर लिया है. इस स्कूल में 12 नन्हें वैज्ञानिकों ऐसे हैं, जिन्होंने कबाड़ के सामान से कूलर, टेबल फैन, गोबरगैस प्लांट, सब्जी कटर, सोलर लैंप जैसी रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले सामानों को बनाया है. इसी झोपड़पट्टी में रहने वाले बादल ने अंधेरे में पढ़ने के लिए अपनी एक सोलर लाइट बनाई है ताकि लाइट न आने पर भी वो पढ़ाई कर सके.