प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर के सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र में आम तोड़ने को लेकर हुए विवाद के दौरान दलित बस्ती पर हमले के आरोपियों पर रासुका लगाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 12 अक्तूबर 2020 के पहले होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने जावेद सिद्दीकी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया है.
दलित बस्ती पर हमले के आरोपी पर रासुका लगाने को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती
जौनपुर के सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र में आम तोड़ने के विवाद के दौरान हुए बवाल में दलित बस्ती पर हमले के आरोपियों के खिलाफ रासुका लगाए जाने को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.
महत्वपूर्ण तथ्य:-
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब.
- याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र व चंद्रकेश मिश्र ने बहस की.
बता दें कि दलित बस्ती पर हमला करने के आरोप में 37 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. याची को भी 10 जून को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इन पर गिरोहबंद कानून लगाया गया है. याची के अधिवक्ता का कहना है कि याची को जमानत मिलने के बाद जिलाधिकारी ने 10 जुलाई 2020 को रासुका लगा दी, जिसे चुनौती दी गई है. याची अधिवक्ता का कहना है कि याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. जमानत मिलने पर छूटने से रोकने के लिए रासुका लगाई गई है. याची को मांगे गए दस्तावेज नहीं दिये जा रहे है. इस आधार पर उस पर लगी रासुका हटाई जाए. दोनों पक्षों को सुनकर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.