प्रयागराजः जिले में उन बेसहारा मासूम बच्चों के लिए आश्रय पालना स्थल लगाया गया है जिनके जन्म लेते ही उनके अपने उन्हें सड़कों के किनारे फुटपाथ, कूड़े के ढेर या झाड़ियों में मरने के लिए फेंक देते है. ऐसे नवजात बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में मोशन सेंसर वाला पालना लगाया गया है.इस पालने में बच्चे को छोड़ने के दो मिनट बाद अलार्म बजेगा जिसके बाद अस्पताल का मेडिकल स्टाफ बच्चे को लेकर उसकी देखभाल और बाल शिशुगृह तक पहुंचाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकेगा.
संगम नगरी प्रयागराज में आश्रय पालना स्थल की शुरूआत की गई है. राजस्थान की संस्था के सहयोग से स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में पालना की स्थापना की गई है. यहां पर कोई भी अनचाहे बच्चे को पालने में रख सकता है, जहां से उस बच्चे को अस्पताल कर्मी ले जाएंगे और उसकी देखरेख करके आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी करेंगे. इसके बाद वह बच्चा राजकीय बाल शिशुगृह में भेज दिया जाएगा.
जयपुर की संस्था द्वारा देश भर के 75 स्थानों पर आश्रय पालना स्थल लगाए जा चुके हैं. उत्तर प्रदेश में यह 6वां आश्रय पालना स्थल है. इन 75 पालनों की मदद से अभी तक हजार के करीब बच्चों की जिंदगी बचाई जा चुकी है. संस्था का मकसद है कि देश भर में कहीं पर भी सड़क पर कोई भी नवजात बच्चे न फेंका जाए न ही सड़क पर या झाड़ियों में किसी बच्चे का दम टूटे. अनचाहे बच्चों को जिंदगी सुरक्षित करने के लिए यह पालना एसआरएन अस्पताल में लगाया गया है. इसी के साथ अस्पताल प्रशासन की तरफ से लोगों से अपील की गयी है कि अनचाहे बच्चों को सड़कों यजे सुनसान इलाकों में फेंकने की जगह आश्रय पालना स्थल में लाकर छोड़ जाएं जिससे उन बच्चो की जिंदगी सुरक्षित बचायी जा सके.
पालना का किया गया उद्घाटन
प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में गुरुवार को प्रयागराज के फूलपुर और इलाहाबाद लोकसभा सीट की सांसद रीता बहुगुणा जोशी और केशरी देवी पटेल ने फीता काटकर पालना का उदघाटन किया. पालना की शुरुआत करने के बाद इलाहाबाद की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि आश्रय पालना स्थल अनचाही संतानों के लिए वरदान की तरह साबित होगा. साथ ही सांसद रीता जोशी ने यह भी कहाकि इससे केंद्र सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को भी मजबूती मिलेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहाकि सड़क किनारे कूड़े के ढेर और झाड़ियों में जो बच्चे फेंके जाते हैं उनमें ज्यादातर बेटियां होती हैं इसलिए आश्रय पालना की शुरुआत होने से नवजात बेटियों की जिंदगी भी सुरक्षित हो सकेगी.
ऐसे काम करेगा सेंसर युक्त पालना
मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एसपी सिंह ने बताया कि मां भगवती विकास संस्थान के सहयोग से हॉस्पिटल कैम्पस में मोशन सेंसर युक्त पालना लगाया गया है. यहां पर कोई भी व्यक्ति अनचाहे नवजात बच्चे को लाकर उसके अंदर छोड़ सकता है. उन्होंने बताया कि पालना में शिशु को छोड़ने के 2 मिनट के बाद हॉस्पिटल के लेबर रूम के बाहर में पालने के सेंसर से जुड़ी हुई बेल अपने आप बजेगी. इसके बाद अस्पताल स्टाफ जाकर बच्चे को पालने से ले जाएगा. पालने के सेंसर में लगे अलार्म बेल के बजने में 2 मिनट का अंतर इसलिए रखा गया है जिससे कि जो भी व्यक्ति बच्चे को लाकर पालने में छोड़ेगा उसको वापस जाने का पर्याप्त समय मिल जाए और उसकी पहचान भी गुप्त रहे. इसी के साथ उन्होंने यह भी बताया कि इस पालने में बच्चे को छोड़ने वालों जे खिलाफ किसी तरह जी कोई कानूनी कार्यवाई नहीं कि जाएगी जबकि दूसरी तरफ अस्पताल के लेबर रूम में अलार्म बेल बजने के बाद मेडिकल स्टाफ पालना स्थल से शिशु को तत्काल प्राप्त कर उसकी जांच करके देखभाल करेंगे और उसको दूध पिलाकर साफ सफाई करके कपड़े पहनाकर उसको रखा जाएगा, बच्चे के स्वस्थ होने पर उसे पास के राजकीय शिशु गृह में भेज दिया जाएगा.
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