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भगवान चित्रगुप्त की जयंती मनाई, कलम-दवात की इस वजह से की पूजा...

प्रयागराज और वाराणसी में भाईदूज के मौके पर भगवान चित्रगुप्त की जयंती मनाई गई. इस मौके पर कलम और दवात की पूजा भी की गई.

प्रयागराज में जयंती पर भगवान चित्रगुप्त का पूजन-अर्चन किया गया.
प्रयागराज में जयंती पर भगवान चित्रगुप्त का पूजन-अर्चन किया गया.

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Published : Nov 6, 2021, 7:20 PM IST

प्रयागराज: भाईदूज के मौके पर भगवान चित्रगुप्त की जयंती भी मनाई गई. इस मौके पर कायस्थ समाज के लोगों ने भगवान चित्रगुप्त का विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया.

प्रयागराज में कई जगह सामूहिक रूप से भगवान चित्रगुप्त का पूजन-अर्चन करने के साथ ही कलम और दवात की पूजा की गई. चित्रगुप्त मंदिर में विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया गया. चित्रांश सेवा समिति तथा अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के पदाधिकारी भी मौजूद रहे. उन्होंने बताया कि जयंत पर कलम और दवात का विशेष पूजन किया जाता है. कायस्थ समाज के लोगों ने कलम और दवात का पूजन किया.

प्रयागराज में जयंती पर भगवान चित्रगुप्त का पूजन-अर्चन किया गया.

प्रयागराज की लगभग 200 वर्ष पुरानी और चित्रगुप्त मंदिर सभा के महामंत्री नवीन सिन्हा ने बताया कि आज के ही दिन कलम-दवात और बहीखातों की पूजा की परंपरा है. माना जाता है कि चित्रगुप्त भगवान यमराज के सहयोगी हैं और सभी प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. प्रभु चित्रगुप्त ही हैं जो हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखकर हमारे लिए स्वर्ग और नरक का फैसला लेते हैं.

प्रयागराज में भगवान चित्रगुप्त की जयंती धूमधाम से मनाई गई.

प्राचीन भगवान श्री चित्रगुप्त मंदिर महासभा के उपाध्यक्ष वीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि भगवान श्री चित्रगुप्त हमारे पूर्वज हैं. हम उनकी संतान हैं. उनके मुताबिक पृथ्वी पर जितने भी लोग कलम-दवात की जीविका अर्जित करते हैं, आज वे कलम-दवात की पूजा करते हैं.

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ऐसे हुई थी भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति

यम द्वितीया यानी भाईदूज के पर्व के मौके पर भगवान चित्रगुप्त और कलम-दवात की पूजा की जाती है. पद्म पुराण के सृष्टि खण्ड के अनुसार ब्रह्मा जी ने जगत के कल्याण के लिए विष्णु जी, शिव जी और अपनी स्वयं की शक्तियों को संचित किया और इन्हीं त्रिदेवों के तेज से हाथों में कलम-दवात, पत्रिका और पट्टी लिए हुए श्री चित्रगुप्त प्रगट हुए. युगपिता ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न होने के कारण इनके कुल को कायस्थ कहा गया और हर किसी के हृदय में विराजमान होने के कारण इन्हें ‘चित्रगुप्त’ की संज्ञा मिली. इनमें सत, रज और तम तीनों गुण ही विद्यमान हैं.

काशी में निकली भव्य शोभायात्रा.

काशी में निकली शोभायात्रा

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में भगवान चित्रगुप्त की जयंती धूमधाम से मनाई गई. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के बैनर तले शोभायात्रा निकाली गई. बैंड-बाजे के साथ निकली यह शोभायात्रा काशी के कई क्षेत्रों में घूमी. इससे पूर्व शोभायात्रा में भगवान चित्रगुप्त की झांकी की आरती उतारी गई. कायस्थ समाज के लोगों ने केसरिया साफा और दुप्ट्टा पहन रखा था. यह यात्रा टाउन हॉल से शुरू होकर कई मार्गों से होते हुए मिंट हाउस पर आकर खत्म हुई. इस दौरान जय भगवान चित्रगुप्त....के उद्घोष भी गूंजते रहे.

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