प्रयागराजः पिछले दिनों देश में गरमाया हुआ हिजाब का मुद्दा अभी पूरी तरह से शांत भी नहीं हुआ था कि अब एक नये मामले ने तूल पकड़ ली है. मामला प्रयागराज के एक कान्वेंट स्कूल का है. जहां बच्चों से ईद पर कुर्ता पायजामा के साथ टोपी पहनकर बधाई देते हुए 20 सेकेंड का वीडियो बनाकर स्कूल ग्रुप में भेजने के लिए कहा गया था. इस मामले को लेकर कुछ अभिवावकों ने आपत्ति दर्ज की. जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने अपना आदेश वापस ले लिया.
लेकिन जब मामला सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो उसके बाद इस मुद्दो को लेकर वीएचपी नेता की ओर से पुलिस में शिकायत करते हुए प्रिंसिपल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है. वहीं पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच भी शुरू कर दी है.
प्रिंसिपल के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा संगम नगरी प्रयागराज में सीबीएसई बोर्ड के एक स्कूल की प्रिंसिपल के आदेश की वजह से उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. प्रिंसिपल ने ईद से पहले स्कूल के छोटे बच्चों को निर्देश दिया था कि वो कुर्ता पायजामा पहने और सिर पर टोपी लगाकर ईद मुबारक बोले, जिसका 20 सेकेंड का वीडियो बनाकर स्कूल ग्रुप में भेजें. जिसके बाद मामले को लेकर कुछ अभिभावकों ने आपत्ति की. वहीं हिंदूवादी संगठनों ने स्कूल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
विश्व हिंदू परिषद के गौ रक्षा काशी प्रांत के मंत्री लालमणि तिवारी ने स्कूल की प्रिंसिपल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया है. कीडगंज पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. एसएसपी का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है. अगर जांच में ये बात सामने आती है कि प्रिंसिपल ने जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मकसद से ऐसा कुछ किया है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. लेकिन अगर सिर्फ स्कूल में होने वाली गतिविधियों के तहत ये किया जाएगा तो मामले को निस्तारित कर दिया जाएगा. हालांकि एसएसपी का कहना है कि कोई भी कार्रवाई जांच पूरी होने के बाद ही की जायेगी.
इसे भी पढ़ें- कमीशन के सर्वे से पहले ज्ञानवापी परिसर के बाहर सड़क पर महिला ने पढ़ी नमाज
इस पूरे विवाद पर स्कूल की प्रिंसिपल डॉक्टर बुशरा मुस्तफा का कहना है कि जिस तरह से स्कूल में होली, दीपावली और दूसरे पर्व मनाए जाते हैं और बच्चों को उनके बारे में बताया जाता है, तो उसी तरह से ईद के एक दिन पहले छुट्टी होने की वजह से छोटे बच्चों से ऑनलाइन एक्स्ट्रा कैरिकुलम एक्टिविटी के तहत वीडियो बनाकर भेजने को कहा गया था. इसका मकसद सिर्फ बच्चों को पर्व की जानकारी देना ही था. लेकिन कुछ लोगों की आपत्ति के बाद उस एक्टिविटी को रद्द कर दिया गया है और बच्चों को बता दिया गया है कि वो सभी के लिए अनिवार्य नहीं था. उनका कहना है कि कुछ लोग बिना वजह मामले को तूल पकड़ा रहे हैं. उनके स्कूल में सरस्वती वंदना और गायत्री मंत्र के साथ प्रार्थना की शुरूआत होती है. किसी जाति धर्म को लेकर कोई भेदभाव नहीं है. स्कूल में बच्चों को सभी धर्मों का आदर सम्मान करने की शिक्षा दी जाती है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप