प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर नगर के बिकरू कांड में आरोपी मृतक बदमाश अमर दुबे की नाबालिग पत्नी खुशी दुबे को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि खुशी सहित अन्य महिलाओं ने न केवल जघन्य आपराधिक घटना में सक्रिय भूमिका निभाई, अपितु पुरुष अपराधियों को उकसाया कि कोई भी पुलिस वाला जीवित बच कर जाने न पाए. इतना ही नहीं वह बाल संरक्षण गृह में संवासिनियों को धमकी दे रही कि किसी का भी अपहरण करवा सकती है.
कोर्ट ने कहा कि नाबालिग होने मात्र से किसी को जमानत पाने का हक नहीं मिल जाता. खुशी का अपराध सामान्य नहीं, 8 पुलिस वालों की हत्या हुई, 6 पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हुए. चश्मदीद पुलिस वालों के बयानों ने इसकी सक्रिय भूमिका स्पष्ट की है. ऐसी घटना न केवल समाज वरन सरकार को दहशत में डालने वाली है. यदि जमानत दी गई तो लोगों का कानून पर से विश्वास डिगेगा और न्याय व्यवस्था विफल हो जाएगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने दोनों पक्षों की लंबी बहस व कानूनी पहलुओं और फैसलों का परिशीलन करते हुए दिया है. खुशी की तरफ से अधिवक्ता प्रभाशंकर मिश्र का कहना था कि 3 जुलाई 2020 की जघन्य घटना के कुछ दिन पहले ही खुशी की शादी मुठभेड़ में मृत अमर दुबे से हुई थी. वह किसी गैंग की सदस्य नहीं है. वह निर्दोष है. उसे पुलिस द्वारा फंसाया गया है. नाबालिग लड़की को नैतिक, शारीरिक और मानसिक रूप से खतरा है.