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वाराणसी: बीएचयू में 15 दिनों से चल रहे धरने पर लगा विराम, प्रशासन ने मांगा 10 दिन का समय

यूपी वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 15 दिनों से चल रहे धरने पर छात्रों ने विराम लगा दिया है. छात्रों ने बताया कि विश्व विद्यालय प्रशासन ने उनकी मांगों पर कार्रवाई हेतु 10 दिन का समय मांगा है, इसलिए वे धरने को रोक रहे हैं.

बीएचयू छात्रों ने 15 दिनों से चल रहे धरने पर लगाया विराम.

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Published : Nov 22, 2019, 6:48 PM IST

वाराणसी: बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर विगत 15 दिनों से चल रहा छात्रों का धरना खत्म हो गया है. छात्रों का कहना है कि बीएचयू प्रशासन और छात्रों के बीच में हुई बैठक में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि 10 दिन के भीतर बीएचयू प्रशासन इस पर विचार कर कार्रवाई करेगा.

छात्रों ने बताया कि बीएचयू प्रशासन ने 10 दिन का समय मांगा है अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाएगा तो वे बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे. छात्रों ने कहा कि इस मामले को पीएम ने भी संज्ञान में लिया है. कल वे मजबूरन यह मामला प्रधानमंत्री जन संपर्क कार्यालय से पीएमओ तक पहुंचाएंगे. छात्रों ने बताया कि अभी संकाय में पठन-पाठन बाधित रहेगा.

बीएचयू छात्रों ने 15 दिनों से चल रहे धरने पर लगाया विराम.

आपको बताते चलें कि धर्म विज्ञान संकाय के छात्र पीछे हटने के मूड में नहीं है और प्रशासन ने जो 10 दिन का समय मांगा है. वह तो जरूर छात्रों ने दे दिया है, लेकिन छात्रों का कहना है कि सांकेतिक रूप से हमारा विरोध चलता रहेगा. अगर 10 दिन के बाद भी कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाती है, जिससे हम संतुष्ट हो सके तो यह आंदोलन बड़े आंदोलन में हम तब्दील करेंगे.

बता दें कि बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में बीते दिनों फिरोज खान नाम के मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति हुई थी. इस नियुक्ति का विरोध करते हुए संकाय के छात्र धरने पर बैठ गए थे. छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीएचयू एक्ट के खिलाफ असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की है. छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के संस्थापक पं मदन मोहन मालवीय जी ने इस संकाय के निर्माण के साथ वहां शिलापट्ट पर लिखवा दिया था, कि इस भवन में गैर सनातनी का प्रवेश वर्जित है, इसके बाद भी इस संकाय में अल्पसंख्यक की नियुक्ति की गई है.

छात्रों का यह भी कहना है कि फिरोज खान की नियुक्ति कला संकाय में बने संस्कृत विभाग में कर दी जाए, जिससे वे संस्कृत का अध्यापन कर सकें. छात्रों का कहना है कि वे अल्पसंख्यक से अपने धर्म की शिक्षा नहीं लेंगे, इसके लिए उनको बाध्य नहीं किया जा सकता.

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