प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पांडेय के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी की है. इसपर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रावास विलियम हालेंड हॉल में व्याप्त अनियमितता की जांच एसआईटी गठित कर 2 माह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश की अवहेलना करने का आरोप है. कोर्ट ने मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए.
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 में आगरा में सेना भर्ती घोटाले के आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है.
- भर्ती घोटाले के आरोपी ब्रिगेडियर जगजीत सिंह, सूबेदार मेजर हरिचन्द, हवलदार / क्लर्क बीरभान, नंदकिशोर, परमजीत सिंह, रवीन्द्र कुमार, आशुतोष पांडेय, आजाद सिंह, प्रमोद कुमार, रामकृष्ण व राजकुमार गौतम के विरुद्ध आरोप को गम्भीर मानते हुए जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया.
- इस मामले में मुख्य सचिव ने 13 फरवरी को एसआईटी की रिर्पोट मांगी थी, जिसको पेश न करने पर हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका जाकी कर दी है.
सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश का कहना था कि सेना के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने आवास पर ले जाकर अनुचित लाभ लेकर परीक्षा की कापियां बदलीं और अभियर्थियों को पास कराया. सेना के अधिकारियों का दायित्व था कि वे निष्पक्ष ईमानदारी से परीक्षा कराए. लेकिन घटना में हुई धांधली के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
ज्ञात हो कि बीआरओ आगरा ने 26 मई 1991 में भर्ती परीक्षा ली और मेजर ने आवास पर 22 लोगों की कापियां बदल कर लिफाफा लखनऊ मुख्यालय भेज दिया. एक ही हैंडराइटिंग व समान 100 में 97 अंक पाने के कारण जांच सीबीआई को सौपी गई. जिसने परीक्षा कराने वाले सेना के अधिकारियों सहित लाभार्थियों के खिलाफ चार्ज सीट दाखिल की. 8 अभ्यर्थियों को घोटाले से भागीदार पाया गया. कोर्ट ने कहा बिना सेना के अधिकारियों की मिलीभगत के ऐसा घपला नहीं हो सकता था. कोर्ट ने कहा सेना वास्तविक हीरो है, अनुशासित है. जनता में सेना की अलग छवि है. यदि सहानुभूति दिखाई गयी तो सेना के प्रति जन विश्वास में कमी आएगी. इनके अपराध गम्भीर हैं. जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.