प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा व बहन आयशा नूरी तथा भांजी उनजिला नूरी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी है. याचिका में मांग की गई थी कि याची गण पुलिस की अवैध अभिरक्षा में है. उनको अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए. बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की खंडपीठ ने सुनवाई की.
याचिका में कहा गया कि 1 मार्च 2023 को धूमनगंज और पूरा मुफ़्ती थाने की पुलिस के साथ स्पेशल टास्क फोर्स के जवान रात में एक बजे हटवा स्थित जैनब फातिमा के मायके वाले घर में घुस आए. पुलिस वालों ने याची गण को मारा-पीटा तथा अवैध रूप से हिरासत में ले लिया.
प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा की जैनब फातिमा के पिता मंसूर अहमद ने सीजेएम इलाहाबाद के समक्ष सीआरपीसी की धारा 97 के तहत प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर सीजीएम ने पुलिस से याची गण के बाबत रिपोर्ट मांगी थी.
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि तीनों का धारा 151 के तहत शांति भंग की आशंका में चालान करने के बाद उनको निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया है जबकि याची गण के अधिवक्ता का कहना था कि इसके बावजूद याचिका पोषणीय है क्योंकि याची गण अभी भी मानद अभिरक्षा में है और उनकी स्वतंत्रता बाधित की गई है. कोर्ट ने इस दलील को नामंजूर करते हुए कहा कि एक बार जब याची गण निजी मुचलके पर रिहा हो चुके हैं तो फिर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है.
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