प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र(marriage certificate) शादी को प्रमाणित करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि यह संस्था विवाह कराने की अपनी मान्यता का दुरुपयोग कर रही है. इस अदालत में ऐसे प्रमाण पत्रों की बाढ़ है जो आर्य समाज मंदिर(Arya Samaj Mandir) द्वारा जारी किए गए हैं. बिना दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर विचार किए सिर्फ इस प्रमाण पत्र के आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि दोनों पक्षों के बीच में विवाह हुआ है.
भोला सिंह की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी(Justice Saurabh Shyam Shamsheri) की पीठ ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण एक विशेषाधिकार प्राप्त रिट है और एक असाधारण उपाय है. इसे एक अधिकार के रूप में जारी नहीं किया जा सकता है, केवल उचित आधार पर या संभावना दिखाई जाती है, तो ही इसे जारी किया जा सकता है.
याची ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर आरोप लगाया गया है कि उसकी पत्नी (कार्पस ) बंधक है. उन दोनों ने अपनी पसंद से विवाह किया है. यह साबित करने के लिए कि वे कानूनी रूप से विवाहित थे, याचिकाकर्ताओं के वकील ने आर्य समाज मंदिर, गाजियाबाद द्वारा जारी एक प्रमाण पत्र और विवाह के पंजीकरण के प्रमाण पत्र के साथ-साथ कुछ तस्वीरे अदालत में पेश की.