प्रयागराजःसंगम का तट हजारों सालों की संस्कृति को अपने में समेटे हुए है. यहां संस्कृति के सतरंगी धनुष में विभिन्न कलाओं की भी चमक मिलती है. इसी में से एक अद्भुत कला है मूछों का नृत्य. प्रयागराज में रहने वाले राजेंद्र तिवारी उर्फ दूकान जी इस कला के लिए अलग पहचान रखते हैं. उनका नाम इस कला के लिए गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. दुख की बात ये है कि देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके दूकान जी तंगहाली में जी रहे हैं.
दारागंज में निवास
प्रयागराज के सबसे पुराने इलाके दारागंज में रहने वाले राजेन्द्र तिवारी का दावा है कि वह मूंछों के नृत्य के दुनिया के एकलौते कलाकार हैं. उन्होंने एक ऐसी कला का विकास किया है, जो अपने आप में अनोखी है. राजेन्द्र तिवारी अपनी मूछों में कैंडल लगाकर अपनी मूछों से ऐसा नृत्य करते हैं जिसपर आप खुद यकीन नहीं कर पाएंगे. संगीत की धुनों के साथ अपनी मूछों से नृत्य करने का विश्व कीर्तिमान भी बना चुके हैं. इस काम में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज करा चुके हैं.
तंगहाली से परेशान
इस लोक कलाकार को दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं. रहने के लिए न अपनी छत, न गुजारे के लिए चार पैसे. सरकार और प्रशासन की अनदेखी से भी तंग आ चुके हैं. इस कलाकार ने मदद न मिलने पर दुख जताया. वह देश छोड़ने पर भी विचार कर रहे हैं.
कई विश्व कीर्तिमान हासिल किए
राजेंद्र तिवारी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड से लेकर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. दुनिया का शायद ही ऐसा कोई मुल्क हो जहां उन्होंने अपनी इस दुर्लभ कला का प्रदर्शन कर तालियां न बटोरी हों.
पैसे-पैसे की लिए मोहताज
आज वह पैसे-पैसे के लिए मोहताज हैं. कला और लोक कला के प्रोत्साहन की तो तमाम बातें सरकार करती है लेकिन राज्य या केंद्र सरकार के किसी नुमाइंदे ने न कभी इनकी कला को सराहा और न कभी यह जानने की जेहमत उठाई की प्रदेश और केंद्र सरकार की कई सरकारी योजनाओं को अपनी कला के जरिए जन-जन तक पहुंचाने वाला यह कलाकार किस हाल में है.