प्रयागराज :उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (NCZCC) में यंग लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा ‘मोक्षदायिनी मां गंगा की अविरल एवं निर्मल धारा एवं इसकी संरक्षा’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया था. इसके मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि दक्षिण में गंगा नहीं है, लेकिन उनकी सांस्कृतिक मान्यताओं में भी गंगा की बात बहुत आदर के साथ होती है.
आरिफ खान ने बताया कि 1857 की क्रांति की याद में केरल में 1957 में एक नाटक लिखा गया जो पूरा का पूरा गंगा पर आधारित है, लेकिन केरल में कम्युनिस्ट पार्टी के लोग अपनी पार्टी के प्रचार के लिए उस नाटक का इस्तेमाल करते हैं. राज्यपाल ने कहा, ‘हमारी विरासत तो गर्व करने लायक है, लेकिन क्या हमारे काम गर्व करने लायक हैं, इस पर विचार करना होगा. आज लोगों ने अपने स्वार्थ के आगे सभी चीजों को पीछे कर दिया है.’ संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने बताया कि गंगा में 11,000 क्यूसेक लीटर प्रति सेकेंड पानी बहता है, लेकिन हम गंगा पर बैराज बनाकर उसे अविरल बहने नहीं दे रहे हैं.
'50 साल पुराने ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले आज तक लागू नहीं हुए'
जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि गंगा में पानी नहीं रहने से वह स्वच्छ नहीं रह सकती. उन्होंने कहा, ‘बैराज के जरिए सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना आवश्यक है, लेकिन इसमें संतुलन नहीं रखा गया. अदालतों ने अपना कर्तव्य पूरी तरह से निभाया, लेकिन शासन तो सरकारें करती हैं. हम जज होकर फैसले दे सकते हैं, लेकिन उन फैसलों को लागू कैसे करें. ऐसी स्थिति में अदालतें अपने आपको असहाय पाती हैं. सुप्रीम कोर्ट के 50 साल पुराने फैसले आज तक लागू नहीं हुए.’ उन्होंने कहा कि अदालतों के फैसले को लागू करने की सरकारों ने ईमानदारी से कोशिश नहीं की.
'विकास के नाम पर सभी पर्यावरण का नुकसान करते रहे'
जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने कहा कि गंगा में 1970 के बाद से 1990 तक स्वच्छता के नाम पर करीब 900 करोड़ रुपए खर्च हो गए, लेकिन गंगा आज भी वैसी की वैसी हैं. आज 2021 में गंगा के नाम पर स्वीकृत हुए धन का दोहन किया जा रहा है. वह पैसा कहां गया. कैग ने इस खर्च को लेकर गंभीर आपत्तियां की थीं, लेकिन उसका कुछ नहीं हुआ. मुझे लगता है कि जो अधिकारी इसको लागू करने के जिम्मेदार थे, उन्होंने भी इस पैसे को गंगाजल माना और डिब्बे में भरकर अपने घर ले गए. मैं जिम्मेदारी से कह सकता हूं कि आज 2021 हो गया, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के मामले में किसी एक भी अधिकारी को सजा नहीं हुई. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और भ्रष्टाचार करने के लिए आजतक न किसी अधिकारी से वसूली हुई, न निलंबन हुआ.’
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मां गंगा की दशा पर चिंता जताते हुए कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि इतनी गतिविधियों के बाद भी मां गंगा के प्रति आचरण अभी भी कहीं गायब है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और मां गंगा की अविरलता पर हम सभी को गर्व करना चाहिए, लेकिन जिस तरह से मां गंगा हम सभी को अपने बच्चे मानकर अपने आंचल में प्यार, दुलार के साथ मोक्ष तक प्रदान करतीं हैं. इसे लेकर हम सभी को गंभीरता से विचार करना होगा. क्योंकि जिस तरीके से मां गंगा आज दूषित हैं, उसके पीछे सबसे बड़े कारण हम सभी हैं. हमने गंगा को महज नदी समझा और इसके जल का अत्यधिक दोहन भी कर रहे हैं. इसमें प्रदूषण को ही समाहित करते आ रहे हैं.
राज्यपाल ने कहा, मां गंगा देश के आठ राज्यों से होकर बहती हैं, लेकिन दक्षिण भारत में गंगा नदी नही हैं. जानकर आश्चर्य होगा कि मां गंगा भले ही दक्षिण भारत में नही हैं, लेकिन वहां के लोगों की संस्कृति, साहित्य, शिक्षा और मनोभाव में मां गंगा के प्रति पवित्रता उतनी ही है, जितनी प्रयागराज के संगम की है. हम सभी को मानवीय दृष्टिकोण से सोचकर यह प्रयास करना होगा कि गंगा स्वच्छ और साफ रहें और प्रदूषित न हो. इसके लिए गंगा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में बसे देश के लगभग चालीस करोड़ लोगों की जिम्मेदारी है.
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अतिथियों का स्वागत यंग लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन महासचिव जे बी सिंह ने किया जबकि संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता डा संतोष जैन ने किया। इस मौके पर यंग लॉयर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भानु देव पांडेय,आर पी तिवारी,आर पी सिन्हा, मनोज निगम, अनिल बाबू, दिनेश कुमार मिश्र,आर के जायसवाल,आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया।