प्रयागराजः जिले में कोविड मरीज के परिजनों से निजी अस्पताल की मनमानी वसूली जारी है. सरकार के दिशा निर्देश जारी करने के बावजूद प्राइवेट अस्पताल वाले मरीजों को भर्ती करने के बाद उनसे 10 दिन के इलाज के बदले 4 से 5 लाख रुपये तक वसूल रहे हैं. इसी तरह की एक शिकायत मिलने के बाद सीएमओ की तरफ से एक प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया जा चुका है.
केस 1
प्रयागराज की रहने वाली किरण मिश्रा कोरोना संक्रमित पाई जाने के बाद उनकी हालत बिगड़ी तो घरवालों ने उन्हें इलाज के लिए जॉर्ज टाउन इलाके में बने ओझा हॉस्पिटल में भर्ती करवाया, जहां पर उनके इलाज के बाद डॉक्टरों ने 3,77,226 रुपये का बिल बना दिया. महिला के पति आरके मिश्रा ने जब बिल में कुछ कमी करने की मांग की तो अस्पताल प्रशासन ने साफ मना कर दिया. जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति ने अपने बिल के साथ जिलाधिकारी को पत्र देकर उनसे इंसाफ की गुहार लगाई.
जिलाधिकारी ने सीएमओ से मामले की जांच करवाई. सीएमओ ने जांच रिपोर्ट में पाया कि अस्पताल प्रशासन ने बिना वजह बिल को बढ़ाया है, जिसके लिए एक ही जांच को दिन में दो बार कराने के साथ ही डॉक्टर की विजिट फीस का चार्ज 60 हजार रुपये लगाने के साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट का भी चार्ज 7 हजार रुपये बिल में जोड़ा था. इसी तरह से कई और जांच बिना वजह कराए जाने की जानकारी मिलने के बाद सीएमओ ने ओझा हॉस्पिटल के डॉक्टर एलएस ओझा के खिलाफ जार्ज टाउन थाने में महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया है.
केस 2
इसी तरह से मेहदौरी इलाके के रहने वाले 70 वर्षीय कृष्ण चंद्र त्रिपाठी को कोरोना से पीड़ित होने के बाद इलाज के लिए ओझा हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था. जहां पर मरीज को भर्ती करने से पहले अस्पताल में डेढ़ लाख रुपये 10 दिन के इलाज के लिए जमा करवाए गए. इसके बाद मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले उनके परिजनों को 4 लाख 55 हजार रुपये से ज्यादा का बिल पकड़ा दिया गया. परिजनों से कहा गया कि वह बिल जमा करें, तभी उनके मरीज को डिस्चार्ज किया जाएगा. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से बातचीत कर इतना ज्यादा बिल बनाए जाने पर एतराज जताया, लेकिन अस्पताल वालों ने पूरा बिल जमा किए बिना मरीज को डिस्चार्ज करने से मना कर दिया.