प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण भूमि खरीद घोटाले के आरोपी ओएसडी वीरपाल सिंह को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डीके सिंह ने वीरपाल सिंह की अर्जी पर दिया है.
यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ सहित कई अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों के नाम किसानों की बेशकीमती जमीनें सस्तें दामों में खरीदी और फिर प्राधिकरण को महंगे दाम में बेच दिया. धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के आरोप में वीरपाल सिंह समेत कई अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. बाद में सीबीआई ने विशेष अदालत गाजियाबाद में घोटाले में लिप्त कई अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.इसी मामले में अग्रिम जमानत की यह अर्जी दी गई थी.
इस प्रकरण में पहले पुलिस ने गौतमबुद्धनगर के कासना थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. पुलिस ने प्राधिकरण के सीईओ पीसी गुप्ता के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करते हुए कहा कि कई अन्य अधिकारी भी घोटाले में लिप्त हैं. पुलिस ने विशेष अदालत एंटी करप्शन मेरठ में 18 सितंबर 2018 को चार्जशीट दाखिल की. इसके बाद आठ अन्य अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई.
राज्य सरकार ने 14 अक्टूबर 2019 को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।96 करोड़ 33 लाख 65 हजार 575 रुपये की जमीन यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने खरीदी. इसके लिए एक कमेटी गठित की गई थी। सात फीसदी जमीन रिहायशी क्षेत्र के लिए चिन्हित किया जाना था. आगरा, मथुरा, अलीगढ़,व हाथरस जिले में रिहायशी जमीन चिह्नित की जानी थी. याची कमेटी का ओएसडी था.
दो तहसीलदार व प्रोजेक्ट मैनेजर सदस्य थे. आरोप है कि 2-3 माह पहले सीईओ सहित अधिकारियों व उनके संबंधियों ने जमीनें खरीदी और ऊंचे दाम पर उसी जमीन को प्राधिकरण को बेच दी. सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि इसमें अधिकारियों की मिलीभगत शामिल है. हाईकोर्ट ने आरोप की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया.