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प्रयागराज: लॉकडाउन में पशुपालकों को झेलनी पड़ रही महंगाई की मार - कोरोना वायरस ताजा खबर

यूपी के प्रयागराज में लॉकडाउन के कारण पशुपालकों को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है. पशुपालक रामदेव यादव ने बताया कि लॉकडाउन के चलते चूनी-चोकर और भूसा के व्यापारियों ने चारा का दाम अधिक बढ़ा दिया है.

लॉकडाउन में पशुपालकों को झेलनी पड़ रही है महंगाई की मार.
लॉकडाउन में पशुपालकों को झेलनी पड़ रही है महंगाई की मार.

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Published : Apr 20, 2020, 9:58 PM IST

प्रयागराज: कोरोना वायरस के चलते पीएम मोदी ने पूरे देश में सम्पूर्ण रूप से लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया है. ऐसे में पशुपालकों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है. जहां प्रशासन लगातार यह दावा करते नजर आ रहा है कि सब्जी, खाद्य सामग्री और पशुपालकों के लिए चारा की हर सुविधा की जा रहीं है. वहीं दूसरी तरह गांव में दूध के कारोबार करने वाले पशुपालकों को जानवरों का खर्च निकालना मुश्किल पड़ रहा है.

पशुपालक रामदेव यादव ने बताया कि पशुओं को चारा ठीक से न मिलने की वजह से इस समय जानवर दूध कम देने लगे हैं. जानवर भूख की वजह से न मरे इसलिए महंगे दामों पर भूसा, चूनी और चोकर लाना पड़ रहा है. लॉकडाउन में पशुओं का खर्च उठाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है.

महंगे दामों पर मिल रहा है जानवरों का चारा
पशुपालक रामदेव यादव ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते चूनी-चोकर और भूसा के व्यापारी चारा का दाम अधिक बढ़ा देने की वजह से अब जानवरों के पालन में बहुत मुश्किल झेलना पड़ रहा है. लॉकडाउन के पहले भूसा और चूनी-चोकर का रेट सस्ता होने की वजह से जानवरों के खर्च के साथ ही घर का खर्च भी चलता था.

इस समय जानवरों के खर्च पूरा करना मुश्किल पड़ रहा है. लॉकडाउन की वजह से भूसा 800 से 1000 क्विंटल बिक रहा है. वहीं चूनी-चोकर 140 रुपये धारा के दाम पर मिल रहा है.

दूध के दामों से नहीं हो पा रही है भरपाई
पशुपालक ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से कष्ट उठाया जा रहा है. मंहगाई इतनी है कि जानवरों का पेट भरना मुश्किल हो रहा है. दूध बेचने में जितनी कमाई होती है उस कमाई से भी जानवरों का गुजारा नहीं हो पा रहा है. बंदी के चलते ग्राहक भी कम आने लगे हैं. बहुत से ऐसे ग्राहक हैं, जिनका पैसा अभी रुका हुआ है.

पशु आहार के दामों में हो कमी
पशुपालक रामदेव यादव ने कहा कि इस समय मेरे पास 21 भैस हैं. पूरे महीने जानवरों को आहार खिलाना बहुत मुश्किल पड़ रहा है. पशु आहर व्यापारी बंदी का हवाला देकर महंगे दामों में आहार बेच रहे हैं. लॉकडाउन में अगर जानवरों के आहार की गाड़ी भेजी जाए तो पशुपालकों को दिक्कत नहीं सहनी पड़ेगी.

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