प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने यूपी पीसीएस 2021 की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजे निरस्त करने के मामले में एकल पीठ का आदेश निरस्त कर दिया है. एकल पीठ का आदेश रद्द होने के बाद अब आयोग के लिए अंतिम परिणाम जारी करने का रास्ता साफ हो गया है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने दिया है.
आयोग के अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी ने बताया कि खंडपीठ ने माना है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से जारी किया गया पीसीएस प्री 2021 का परिणाम पूरी तरह सही था और आयोग ने आरक्षण नियमों का पूरी तरह से पालन किया था. जूनियर वारंट ऑफिसर सतीश चंद्र शुक्ल व तीन अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद एकल पीठ ने पूर्व सैनिकों को निर्धारित 5 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिए जाने के कारण प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम रद्द करते हुए पूर्व सैनिकों को आरक्षण का लाभ देते हुए संशोधित परिणाम जारी करने का आदेश दिया था.
एकल पीठ का मानना था कि ग्रुप बी के पदों पर पूर्व सैनिकों को आरक्षण देने की अधिसूचना 10 मार्च 2021 को जारी हो गई थी. यह जारी होने की तिथि से ही लागू हो गई. पीसीएस का आवेदन करने के लिए 17 मार्च तक पोर्टल खुला था. यदि आयोग और सरकार की मंशा आरक्षण देने की होती तो इस अवधि में अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ दिया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.