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UPPCS 2021 प्री के परिणाम को हाईकोर्ट ने माना सही, एकल पीठ का आदेश रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने यूपी पीसीएस 2021 प्री का परिणाम निरस्त करने का एकल पीठ का आदेश रद्द कर दिया है. अब आयोग के लिए अंतिम परिणाम जारी करने का रास्ता साफ हो गया है.

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Published : Oct 18, 2022, 8:01 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने यूपी पीसीएस 2021 की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजे निरस्त करने के मामले में एकल पीठ का आदेश निरस्त कर दिया है. एकल पीठ का आदेश रद्द होने के बाद अब आयोग के लिए अंतिम परिणाम जारी करने का रास्ता साफ हो गया है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने दिया है.

आयोग के अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी ने बताया कि खंडपीठ ने माना है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से जारी किया गया पीसीएस प्री 2021 का परिणाम पूरी तरह सही था और आयोग ने आरक्षण नियमों का पूरी तरह से पालन किया था. जूनियर वारंट ऑफिसर सतीश चंद्र शुक्ल व तीन अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद एकल पीठ ने पूर्व सैनिकों को निर्धारित 5 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिए जाने के कारण प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम रद्द करते हुए पूर्व सैनिकों को आरक्षण का लाभ देते हुए संशोधित परिणाम जारी करने का आदेश दिया था.

एकल पीठ का मानना था कि ग्रुप बी के पदों पर पूर्व सैनिकों को आरक्षण देने की अधिसूचना 10 मार्च 2021 को जारी हो गई थी. यह जारी होने की तिथि से ही लागू हो गई. पीसीएस का आवेदन करने के लिए 17 मार्च तक पोर्टल खुला था. यदि आयोग और सरकार की मंशा आरक्षण देने की होती तो इस अवधि में अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ दिया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

आयोग के अधिवक्ता की दलील थी कि सिर्फ दो अभ्यर्थियों के लिए पूरा परिणाम रद्द कर दिया गया. पीसीएस प्री के आवेदन की अंतिम तिथि 10 मार्च 2021 थी. बाद में 17 मार्च तक पोर्टल सिर्फ उन अभ्यर्थियों के लिए खोला गया था, जिन्होंने अपने आवेदन में कोई गलती कर दी थी. उन्हें त्रुटि सुधारने का मौका दिया गया था. पोर्टल कोई नया आवेदन करने के लिए नहीं खोला गया था. याची के अधिवक्ता ने कहा कि परिणाम पूरा रद्द नहीं हुआ है, क्योंकि आयोग ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी साक्षात्कार लिया है.

याची के अधिवक्ता का यह भी कहना था कि चयन प्रक्रिया मुख्य परीक्षा के तिथि से शुरू मानी जाएगी. मुख्य परीक्षा का आयोजन 23 मार्च 2022 से शुरू हुआ. महधिवक्ता अजय मिश्र ने कहा था कि सरकार आयोग की दलीलों का समर्थन करती है. सिर्फ दो अभ्यर्थियों के लिए पूरा परिणाम रद्द करना उचित नहीं है. दोनों पक्ष की ओर से अन्य कई तकनीकी मुद्दे उठाए गए थे, जिन पर सुनवाई के बाद गत छह सितंबर को खंडपीठ ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था. गौरतलब है कि लोक सेवा आयोग पीसीएस-2021 के लिए गत पांच अगस्त को साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी कर चुका है.

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