प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए दिए गए आवेदन में यदि मानक के अनुरूप जानकारियां नहीं दी गईं हैं, तब भी बेसिक शिक्षा परिषद आवेदन को निरस्त नहीं कर सकता है. बल्कि वह आवेदन को उसी क्लाज के लिए दिए गए वेटेज मार्क्स के विकल्प को समाप्त करके आवेदन को अग्रतर कार्रवाई के लिए अग्रसारित करेगा. सहायक अध्यापिका के अंतर्जनपदीय आवेदन को निरस्त करने की कार्रवाई को हाईकोर्ट ने मनमाना और अविवेकपूर्ण करार दिया. कोर्ट ने राज्य स्तरीय कमेटी के 5 सितंबर 2023 के आदेश को नजरअंदाज करते हुए नए सिरे से स्थानांतरण पर निर्णय लेने के आदेश दिए हैं.
दो जून को जारी हुआ था शासनादेश :सहायक अध्यापिका अर्चना की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने दिए. याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 2 जून 2023 को शासनादेश जारी कर सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय तबादले के लिए आवेदन मांगे. शासनादेश में कहा गया था कि जिन अध्यापकों के पति अथवा पत्नी सैन्य बलों अथवा केंद्र सरकार में कार्यरत हैं, उनको आवेदन पर इसके लिए 10 अंक दिए जाएंगे.
तबादले के बाद नहीं किया रिलीव :याची के पति नेहरू युवा केंद्र संगठन बागपत में कार्यरत हैं, यह भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय का एक अंग है. याची ने अपने ऑनलाइन आवेदन में इस आधार पर अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की. इसे स्वीकार करते हुए उसका स्थानांतरण बलरामपुर से बुलंदशहर कर दिया गया. मगर बाद में उसे बलरामपुर से रिलीव नहीं किया गया. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर बेसिक शिक्षा परिषद की अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि परिषद की पांच सदस्यीय राज्य स्तरीय कमेटी ने याची के प्रकरण पर विचार किया और पाया कि याची के पति नेहरू युवा केंद्र संगठन में कार्यरत हैं जो की ऑटोनॉमस बॉडी है. इसलिए याची 10 अंक पाने के लिए पात्र नहीं है. अपने आवेदन में झूठी सूचना देने के आधार पर उसका आवेदन निरस्त किया गया है.