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प्रदेश के 11 न्यायिक अधिकारियों पर गिरी गाज - प्रयागराज की खबरें

प्रदेश के एक दर्जन न्यायिक अधिकारियों पर गिरी गाज. 10 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति व एक को किया गया निलंबित. ये सभी अपने आचरण और व्यवहार से विभाग की छवि को प्रभावित कर रहे थे.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Nov 29, 2021, 9:43 PM IST

Updated : Nov 29, 2021, 10:00 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के अधीनस्थ अदालतों के 11 न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. इनमें से 10 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति तो एक को निलंबित किया गया है. दरअसल, शुक्रवार को हुई हाईकोर्ट की फुलकोर्ट में स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर विचार किया गया और कार्रवाई करने का फैसला लिया गया है.

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सूत्र बताते हैं कि इन न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच की गई और स्क्रीनिंग कमेटी ने रिपोर्ट पेश की. जिन न्यायिक अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेने का फैसला किया गया है.

उनमें पीयूष वर्मा एससीजेएम कानपुर, प्रवीण सोनकर एडीजे हमीरपुर, अनिल कुमार द्वितीय एडीजे लखीमपुर, अनिल कुमार यादव एडीजे वाराणसी, रमेश कुमार यादव एडीजे कौशांबी, प्रीति श्रीवास्तव एडीजे गोरखपुर, शोभनाथ सिंह सिविल जज सीनियर डिवीजन मुरादाबाद, बसंत जाटव सिविल जज सीनियर डिवीजन बुलंदशहर, नरेन्द्र सिंह एमएसीटी चित्रकूट, श्याम कुमार एडीजे फिरोजाबाद, शामिल हैं. प्रह्लाद टंडन एडीजे को निलंबित कर दिया गया है.

इनमें 11 अधिकारियों को नियम 56 सी के तहत निष्प्रयोज्य आंका गया. ये सभी अपने आचरण और व्यवहार से विभाग की छवि को भी प्रभावित कर रहे थे. इन अधिकारियों में जिला जज स्तर के मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के एक पीठासीन अधिकारी के अलावा लखीमपुर, आगरा, कौशाम्बी, वाराणसी, हमीरपुर व उन्नाव में कार्यरत अपर जिला जज, मुरादाबाद व कानपुर नगर के सीजेएम स्तर के एक-एक अधिकारी, गोरखपुर की महिला अपर जिला जज को समय से पूर्व सेवानिवृत्त कर दिया गया है.

हाईकोर्ट में कार्यरत एक रजिस्ट्रार को काम पूरा न हो पाने कारण स्कैनिंग कमेटी ने इन्हें भी उस सूची में शामिल किया था, लेकिन उनके आचरण, व्यवहार और अच्छे न्यायिक अधिकारी होने की कारण उन्हें राहत प्रदान की गई है. एक जिला जज अवकाश ग्रहण करने कारण कार्यवाही से राहत पा गए. काफी समय से निलंबित चल रहे सुलतानपुर के एडीजे को भी राहत प्रदान की गई है.

दरअसल, संविधान 235 अनुच्छेद में हाईकोर्ट को जिला न्यायालयों में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों पर नियंत्रण रखने का अधिकार दिया गया है. यह कार्यवाही एक संकेत के रूप में है.

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Last Updated : Nov 29, 2021, 10:00 PM IST

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