प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि फूलपुर की दुराचार पीड़िता की फरियाद तीन महीने तक न सुनना पुलिस की आपराधिक न्याय व्यवस्था के प्रति घोर लापरवाही है. हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दर्ज एफआईआर एवं मेडिको लीगल जांच से अभियोजन प्रभावित होगा,
कोर्ट ने लापरवाह पुलिस की जवाबदेही तय करने के लिए एसएसपी प्रयागराज व थाना प्रभारी फूलपुर को 20 अक्तूबर को तलब किया है. कोर्ट ने कहा है कि गंभीर अपराधों पर कार्यवाही के मामले में उम्मीद के विपरीत पुलिस विफल हो रही है. दुराचार मामले में तीन माह बाद एफआईआर दर्ज करना जांच की खानापूरी है. जवाबदेही तय होनी चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने रेप पीड़िता की याचिका पर दिया है. याचिका पर सरकार के अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाहा ने पक्ष रखा.
मालूम हो कि पीड़िता याची फूलपुर थाने पर 11 जुलाई 2020 को शिकायत लेकर गई, जहां उसे पुलिस ने भगा दिया. इसके बाद पीड़िता ने 22 जुलाई को एसएसपी प्रयागराज से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. 30 जुलाई तक रेप की एफआईआर दर्ज नहीं हुई तो उसने हाईकोर्ट की शरण ली.
याचिका की सुनवाई 12 अक्तूबर को हुई. कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता बी पी सिंह कछवाहा से जानकारी लेने को कहा. 14 अक्तूबर को कोर्ट को बताया गया कि एसएसपी ने 23 जुलाई की पीड़िता की अर्जी फूलपुर थाना भेज दी थी. 13 अक्तूबर को एफआईआर दर्ज की गई है. पीड़िता का बयान व मेडिको लीगल जांच की गई है.
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने में तीन माह लगाये. देरी का कारण नहीं बताया. गंभीर अपराध की एफआईआर दर्ज तब की गई है, जब कोर्ट ने जानकारी देने के लिए कहा. यह उचित नहीं है.