उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

बीएसए फर्रुखाबाद को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 मई को तलब किया - ग्रेच्युटी का भुगतान

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लालजी यादव बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद को 9 मई को हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव (Justice Saral Srivastava) ने देव वृत की अवमानना याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल (Advocate Anurag Shukla) ने बहस की.

etv bharat
इलाहाबाद हाई कोर्ट

By

Published : May 3, 2022, 10:27 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लालजी यादव बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद को 9 मई को हाजिर होने का निर्देश दिया है. इससे पहले कोर्ट ने लालजी यादव के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित कर 21 अप्रैल को कारण बताने को कहा था. पूछा था कि क्यों न उन्हें जानबूझकर कोर्ट के आदेश का अवहेलना करने के लिए दंडित किया जाय.

21 अप्रैल को बीएसए ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर ग्रेच्युटी का भुगतान करने की जानकारी दी लेकिन ब्याज का भुगतान नहीं किया. इस पर कोर्ट ने 26 अप्रैल को तलब किया. हाजिर न होने पर कोर्ट ने बीएसए के आदेश का पूरी तरह से पालन कर 9 मई को पेश होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने देव वृत की अवमानना याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने बहस की.

याची के पिता जगदंबा प्रसाद प्राथमिक विद्यालय निविया, राजेपुर, फर्रुखाबाद में प्रधानाध्यापक के पद कार्यरत थे. सेवा काल में उनकी मृत्यु हो गई थी. सेवा निवृत्ति परिलाभों का भुगतान किया गया लेकिन यह कहते हुए ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इंकार कर दिया गया कि मृत्यु से पहले याची के पिता ने 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति विकल्प नहीं दिया. विकल्प न देने वाले अध्यापक 62 साल की आयु तक कार्य करेंगे किंतु वे ग्रेच्युटी के हकदार नहीं होंगे.

इसे भी पढ़ेंःकोर्ट से न्याय न मिल पाने की यथोचित आशंका पर ही केस हो सकता है स्थानांतरित, पढ़ें अन्य खबरें

कोर्ट ने कहा कि उषा रानी केस में कोर्ट ने विकल्प भरने से पहले मृत्यु होने वाले अध्यापकों को 60 वर्ष में सेवानिवृत्त मानते हुए ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश दिया है. कोर्ट का मानना है कि विकल्प देने से पहले मौत पर यह नहीं कह सकते कि वे 62 साल का विकल्प ही देते. कोर्ट ने याची की याचिका स्वीकार करते हुए दो माह में ग्रेच्युटी के भुगतान का आदेश दिया और देरी से भुगतान पर 8 फीसदी ब्याज देना होगा. आदेश का पालन न करने पर अवमानना याचिका दायर की गई. आदेश का अनुपालन नहीं किया तो कोर्ट ने अवमानना आरोप निर्मित कर दंड देने पर कारण बताने का आदेश दिया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details