प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है. कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं. यह हिंदुओं की आस्था का का विषय है.आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है. हाईकोर्ट ने सुझाव देते हुए यह भी कहा कि जीभ के स्वाद के लिए जीवन छीनने का अधिकार नहीं है.
कोर्ट ने कहा गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता. बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है. इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं. गाय भारतीय कृषि की रीढ़ है.
कोर्ट ने कहा पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं. सबकी पूजा पद्धति भले ही अलग हो, लेकिन सोच सभी की एक है. सब एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं. कोर्ट ने कहा गाय को मारने वाले को छोड़ा तो वह फिर अपराध करेगा.
जावेद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा 29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है. एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है और गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है. गोवध को रोकने के लिए इतिहास में किए गए प्रयासों के बारे में बताते हुए कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दण्ड देने का आदेश दिया था.इतना ही नहीं इतिहास में कई मुस्लिम और हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई थी. गाय का मल-मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है. गाय की महिमा का वेदों पुराणों में भी बखान किया गया है. सुनवाई को दौरान कोर्ट ने कवि रसखान की रचनाओं को भी कोट किया. कोर्ट ने कहा कि रसखान के कहा था कि जन्म मिले तो नंद के गायों के बीच मिले. गाय की चर्बी को लेकर मंगल पाण्डेय ने क्रांति की। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है.
यह टिप्पणी करते हुए बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाय काटने के एक आरोपी व्यक्ति जावेद की जमानत याचिका को रद्द कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने दिया है. अर्जी पर शासकीय अधिवक्ता एस के पाल र ए जी ए मिथिलेश कुमार ने प्रतिवाद किया.