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OMR शीट में गलत रोल नम्बर नहीं हो सकती मामूली गलती: हाईकोर्ट - ओएमआर शीट

सुखबीर सिंह नामक याची की ओर से ओएमआर शीट में गलत रोल नंबर डालने के बाद उस कॉपी की जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कॉपी की दोबारा जांच करने से मना करते हुए कहा है कि यह मामूली गलती नहीं है. किसी अभ्यर्थी का रोल नम्बर ही उसकी पहचान होती है. इसे बाद में सुधारने का अवसर नहीं मिलेगा.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Feb 1, 2020, 9:47 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीजीटी-2016 में सहायक अध्यापक पद के अभ्यर्थी को ओएमआर शीट में गलत रोल नंबर भरने पर सुधार की अनुमति देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ओएमआर शीट में रोल नंबर भरने में की गई गलती को मामूली गलती नहीं कहा जा सकता है. ओएमआर शीट पर स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए हैं कि सभी प्रविष्टियों को सही तरीके से भरना है और इनको बाद में सुधारने का अवसर नहीं मिलेगा. इन निर्दोषों को सावधानीपूर्वक पढ़ने में असफल रहने वाले अभ्यर्थियों को बाद में सुधार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. अभ्यर्थी सुखबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने दिया है.

याची का कहना था कि उसने सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड परीक्षा की ओएमआर शीट पर अपना रोल नंबर गलत भर दिया है, जिसकी वजह से उसकी कॉपी जांची नहीं गई. कोर्ट से मांग की गई कि इस मामूली गलती को सुधारने का मौका देते हुए उसकी और ओएमआर शीट जांची जाए तथा परिणाम घोषित किया जाए. याचिका पर अधिवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने प्रतिवाद किया. पूर्व में पारित कई न्यायिक निर्णयों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि याची द्वारा की गई गलती को मामूली गलती नहीं कहा जा सकता, क्योंकि रजिस्ट्रेशन नंबर या रोल नंबर ही अभ्यर्थी की पहचान बताता है.

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सहायक अध्यापक पद पर आवेदन करने वाले व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह परिपक्वता का परिचय देगा. निर्देशों को ठीक से पढ़ना चाहिए था, मार्कशीट पर स्पष्ट निर्देश दिए हैं. अगर इस प्रकार की गलती को सुधारने का अवसर दिया जाता है, तो फिर इस प्रक्रिया का कोई अंत नहीं होगा. कोर्ट ने अधिकारियों द्वारा ओएमआर सीट की गलती न सुधारने के निर्देश को सही मानते हुए याचिका खारिज कर दी है.

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