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PFI सदस्यों की गिरफ्तारी मामला: हाईकोर्ट का केंद्र व राज्य से जवाब-तलब

मथुरा से गिरफ्तार जेल में बंद पीएफआई सदस्यों की अवैध निरूद्धि के खिलाफ दाखिल बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार, जेल अधीक्षक मथुरा व दारोगा थाना मांट मथुरा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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Published : Nov 18, 2020, 7:53 PM IST

Updated : Nov 18, 2020, 8:02 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा से गिरफ्तार जेल में बंद पीएफआई सदस्यों अतीक उर रहमान (छात्र), आलम (कैब ड्राइवर) व मसूद (एक्टिविस्ट) की अवैध निरूद्धि के खिलाफ दाखिल बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार, जेल अधीक्षक मथुरा व प्रबल प्रताप सिंह दारोगा थाना मांट मथुरा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिका पर अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की खंडपीठ ने जेल में बंद एक याची के मामा शेखावत खान की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है.

मालूम हो कि तीनों को मथुरा पुलिस ने 5 अक्टूबर को मांट थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया था. इन्हें हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिलने जाते समय शांति भंग के अंदेशे में गिरफ्तार किया गया था. सीजेएस ने न्यायिक अभिरक्षा में लेकर इन्हें जेल भेज दिया था.

याचिका में मजिस्ट्रेट के न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेजने के आदेश की वैधता को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि उन्हें क्षेत्राधिकार ही नहीं है. इसलिए निरूद्धि अवैध होने के कारण रिहा किया जाए या फिर जमानत पर रिहा किया जाए.

याची के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी का कहना है कि याचियों ने कोई अपराध नहीं किया है. वे पीएफआई सदस्य भी नहीं हैं. पुलिस ने बिना साक्ष्य के उन्हें बलि का बकरा बनाया है. उन्हें जबरन पीएफआई सदस्य बताकर जेल में बंद किया गया है.

Last Updated : Nov 18, 2020, 8:02 PM IST

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