प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के रवैए पर तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि विभाग के अक्षम अधिकारियों की वजह से सरकार को अनावश्यक आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है. यह अधिकारी ग्रेच्युटी भुगतान की फाइलों को अनावश्यक रूप से रोक कर रखते हैं, जिसकी वजह से विलंब से हुए भुगतान के लिए सरकार को ब्याज चुकाना होता है.
कोर्ट ने कहा, अक्षम अधिकारियों की वजह से सरकार पर पड़ा आर्थिक बोझ
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग के अक्षम अधिकारियों की वजह से सरकार को आर्थिक बोझ झेलना पड़ा. इसके लिए कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, निदेशक बेसिक को सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया है.
यह ब्याज की रकम जनता द्वारा दिए गए टैक्स की होती है ना कि अधिकारियों का निजी पैसा. कोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा और निदेशक बेसिक शिक्षा को निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वह प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगे. अगर किसी अधिकारी द्वारा अनावश्यक रूप से फाइल रोकने की वजह से ब्याज का भुगतान करना पड़ा है, तो उस अधिकारी के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाए. कोर्ट को इससे अवगत कराया जाए. कौशांबी की कमला देवी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल (Justice Rohit Ranjan Agrawal) ने दिया है.
कोर्ट में तलब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कौशांबी ने अदालत को बताया कि याची की ग्रेच्युटी का भुगतान कर दिया गया है. भुगतान में हुए विलंब के एवज में ब्याज के भुगतान के हेतु सरकार को पत्र लिखा गया है. इस पर कोर्ट का कहना था कि अधिकारी ने हाईकोर्ट का आदेश होने के बाद भी ग्रेच्युटी के भुगतान करने 8 महीने का अतिरिक्त समय लगा दिया, जिसकी वजह से सरकार को अनावश्यक रूप से आर्थिक बोझ पड़ा है. यदि यह रकम ब्याज के रूप में ना देनी होती तो इसका उपयोग किसी विकास कार्य में हो सकता था. कोर्ट ने इस आदेश की प्रति प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व निदेशक बेसिक शिक्षा को भेजने का निर्देश दिया है.