प्रयागराजःइलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि महज शादी करने से इनकार कर देने से खुदकुशी के लिए उकसाने का अपराध गठित नहीं होता है. कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 306 और धारा 107 को साथ पढ़ने से यह स्पष्ट है कि खुदकुशी के लिए उकसाने के अपराध में पहली शर्त यह है कि व्यक्ति को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया जाए. जबकि दूसरी शर्त है कि इस कार्य को करने के लिए एक या उससे अधिक लोग ऐसे षड्यंत्र में शामिल हो. उस षड्यंत्र के तहत किसी अवैधानिक कार्य को करने का इरादा होना चाहिए. कोर्ट ने खुदकुशी के लिए उकसाने के मुकदमे से वाराणसी के अंबेश मणि त्रिपाठी को बरी करते हुए उसके विरुद्ध चल रहे मुकदमे को रद्द कर दिया है. अंबेश मणि त्रिपाठी की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने याची के अधिवक्ता अभिनव गौर व अन्य को सुनकर दिया है.
याची पर आरोप है कि उसने युवती से शादी तय होने के बाद शादी करने से इनकार कर दिया. जिसकी वजह से लड़की ने खुदकुशी कर ली. लड़की के परिवार वालों ने अंबेश पर खुदकुशी के लिए उकसाने और दहेज मांगने का मुकदमा दर्ज कराया. इसमें पुलिस ने जांच के बाद आरोप पत्र अदालत में दाखिल कर दिया. आरोप पत्र को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. कहा गया कि याची के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का कोई अपराध नहीं बनता है. उस पर शादी से इनकार करने के अलावा और कोई आरोप नहीं है. मृतका के परिवार वालों के बयान और उसके सुसाइड नोट में भी ऐसा कुछ नहीं है. जिससे यह कहा जा सके कि उसने खुदकुशी के लिए उकसाया है.