प्रयागराज:एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सामान्यतः अभियुक्त की मांग और राजनीतिक दखलंदाजी के कारण किसी मामले की विवेचना स्थानांतरित नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए खंड शिक्षा अधिकारी की जांच विजिलेंस की गोरखपुर शाखा से लखनऊ विजिलेंस को स्थानांतरित करने संबंधी आदेश को रद्द कर दिया है.
गौरव त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश न्यायमूर्ति वीके बिरला और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने दिया. याचिका में गृह विभाग द्वारा पारित 17 मई और 2 जून 2022 के आदेशों को चुनौती दी गई थी. इस आदेश के द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार सिंह की अर्ज़ी पर उसके खिलाफ चल रही विवेचना को गोरखपुर विजिलेंस से लखनऊ विजिलेंस को स्थानांतरित कर दिया गया था.
मामले के अनुसार याची गौरव त्रिपाठी बस्ती के सल्तुआ विकासखंड में सहायक अध्यापक है . 26 अगस्त 2021 को तबीयत खराब होने के कारण व अवकाश पर थे. अवकाश की सूचना उन्होंने विद्यालय के प्रधानाध्यापक को दी थी और हाजिरी रजिस्टर में दर्ज भी थी. उस समय अवकाश के लिए ऑनलाइन पोर्टल बंद था, इसलिए याची ऑनलाइन अवकाश का आवेदन नहीं कर सकता था. आरोप है कि उसी दिन खंड शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने विद्यालय का निरीक्षण किया और याची को अनुपस्थित पाते हुए रजिस्टर पर ओवर राइटिंग कर दी और उसे अनुपस्थित दिखा दिया. याची इस सिलसिले में जब मनोज कुमार सिंह से मिला तो उन्होंने उससे 10000 रिश्वत देने की मांग की, जिस पर मामला 7000 पर तय हो गया.