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अतीक के गुर्गे का मकान ध्वस्त करने के खिलाफ अवमानना याचिका खारिज - अतीक के गुर्गे ने घर ध्वस्त करने के खिलाफ दायर की थी याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अतीक अहमद के गुर्गे  जुल्फिकार उर्फ तोता का मकान तोड़े जाने के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका खारिज कर दी है. अतीक की पत्नी कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि कोर्ट के आदेश से पारित होने के बाद भी बिना अपील के उसका मकान ध्वस्त कर दिया गया. इसलिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण पर कार्रवाई की जाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

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Published : Nov 18, 2020, 11:59 PM IST

प्रयागराजःइलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अतीक अहमद के गुर्गे जुल्फिकार उर्फ तोता का मकान तोड़े जाने के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका खारिज कर दी है. अवमानना याचिका जेल में बंद तोता की पत्नी समरीन जहान ने दाखिल की थी. याचिका पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने सुनवाई की.

याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण को लेकर पारित एक आदेश में कहा है कि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित होने के बाद उस पर तब तक अमल न किया जाए जब तक की इसके खिलाफ अपील दाखिल करने की समय अवधि बीत ना जाए. कोर्ट ने अपीलीय अधिकारी को भी निर्देश दिया है कि वह अपील के साथ दाखिल अंतरिम आदेश की अर्जियों का शीघ्रता से अधिकतम दो सप्ताह में निस्तारण करें और तब तक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई न की जाए.

बिना अपील के मकान ध्वस्त किया गया
कोर्ट ने ध्वस्तीकरण आदेश की प्रति प्रभावित पक्ष को सही तरीके से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. साथ ही आदेश जारी करने से पूर्व प्रभावित पक्ष को सुनवाई का अवसर देने का निर्देश दिया है. इसके बावजूद उसका मकान बिना अपील दाखिल करने या सुनवाई का मौका दिए ध्वस्त कर दिया गया. इसलिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने अदालत के आदेश की अवमानना की है, जिसके लिए उन्हें दंडित किया जाए.

हाईकोर्ट के पहले ही ध्वस्तीकरण का आदेश हुआ था पारित
इसके जवाब में पीडीए के अधिवक्ता का कहना था कि याची के मकान के ध्वस्तीकरण का आदेश हाईकोर्ट के आदेश से काफी पहले फरवरी 2020 में ही पारित कर दिया गया था. तब से कई माह का समय होने के बावजूद याची ने कोई अपील दाखिल नहीं की. जबकि अपील दाखिल करने का प्रावधान एक्ट में पहले से ही है. कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि याची के मकान का ध्वस्तीकरण आदेश फरवरी 2020 में जारी हो चुका था इसलिए इसमें अवमानना का कोई मामला नहीं बनता है. कोर्ट ने पीडीए से कहा है कि यदि याची ध्वस्तीकरणआदेश की प्रति के लिए आवेदन करती है तो उसे नियमानुसार प्रति मुहैया कराई जाए .

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