प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि भगोड़ा घोषित किया गया व्यक्ति अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं है. जिस व्यक्ति के खिलाफ सीआरपीसी (CRPC) की धारा 82 के तहत प्रोसेस जारी किया जा चुका है. वह अग्रिम जमानत प्रावधान का लाभ नहीं पा सकता है. इटावा की डॉक्टर अर्चना गुप्ता की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता (Justice Suresh Kumar Gupta) ने दिया.
याची के खिलाफ धोखाधड़ी कर जमीन हड़पने का मुकदमा 2017 में दर्ज कराया गया था. जिसमें उसकी अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी. इस दौरान जांच अधिकारी ने 2018 में चार्ज शीट भी दाखिल कर दी. मगर याची कभी पुलिस के सामने नहीं आई और ना ही वह कभी अदालत में उपस्थित हुई.
कोर्ट ने कहा कि याची पूछताछ और जांच के लिए कभी उपलब्ध नहीं थी. उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया. सामान्यतः जब अभियुक्त भगोड़ा घोषित हो तो उसे अग्रिम जमानत देने का प्रश्न ही नहीं उठता है. याची के खिलाफ आरोप अच्छी तरीके से लगाए गए हैं. चार्ज शीट दाखिल होने के बावजूद भी वह जानबूझकर छुप गई. इसकी वजह से आज तक मुकदमे का ट्रायल नहीं हो सका.
मामले के अनुसार डॉ अर्चना गुप्ता के खिलाफ इटावा के जसवंतनगर थाने (Jaswantnagar Police Station) में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है. इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी. अधिवक्ता का कहना था कि उसे फर्जी मुकदमे में फंसाया गया है. इससे पूर्व इस अदालत द्वारा चार्जशीट दाखिल होने तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक का आदेश दिया गया था. विवेचक कोई साक्ष्य एकत्र किए बिना चार्जशीट दाखिल कर दी तथा रूटीन तरीके से धारा 82 के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई. कोर्ट ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए उसी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी.
यह भी पढ़ें- सरकारी जमीन पर BJP नेता का कब्जा, निर्माण कार्य को SDM ने रुकवाया