प्रयागराजःधूमनगंज के मरिया डीह गांव में सुरजीत और अलकमा के दोहरे हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अशरफ की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने अशरफ की जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा की वह न सिर्फ माफिया डॉन अतीक अहमद का भाई है बल्कि खुद भी एक खतरनाक गैंगस्टर है. इसकी आजादी गवाहों और कानून पसंद जनता की स्वतंत्रता और संपत्ति को खतरे में डाल देगी. अशरफ की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने सुनवाई की.
मुकदमे के अनुसार 25 सितंबर 2015 को रात 8:30 बजे करीब मरिया डीह गांव में आबिद प्रधान के ड्राइवर सुरजीत और अल कमा को गांव के पास ही गोलियों से छलनी कर दिया गया था. उस वक्त दोनों कार से गांव की ओर जा रहे थे. शुरुआत में इस मामले में कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन विवेचना में पता चला कि वास्तव में जो लोग नामजद कराए गए हैं उन्होंने हत्याकांड को अंजाम नहीं दिया . बल्कि इस हत्याकांड के पीछे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गैंग का हाथ है .
आरोपपत्र में अतीक, अशरफ सहित 13 लोगों का नाम जोड़ते हुए चार्ज शीट दाखिल की गई . अशरफ की ओर से इस मामले में जमानत पर रिहा करने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से अभियुक्त का नाम हत्याकांड की साजिश रचने में सामने आया है. अशरफ इस मामले में लंबे समय तक फरार रहा और कुर्की तथा एक लाख रुपये तक का इनाम घोषित होने के बावजूद वह गिरफ्त में नहीं आया . कोर्ट ने कहा कि न अभियुक्त न सिर्फ माफिया डॉन अतीक़ का सगा भाई है, वह खुद भी अपराधी और गैंगस्टर है. इसके खिलाफ हत्या, अपहरण, फिरौती, रंगदारी जैसे गंभीर अपराधों में 51 मुकदमे लंबित हैं . हाल ही में उसका नाम उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा गार्डों की हत्या में भी सामने आया है.