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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन तीन महत्वपूर्ण मामलों पर सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से तीन अलग-अलग मामलों में जानकारी मांगी है, जिसमें पुलिस भर्ती में धांधली के खिलाफ याचिका, स्वास्थ्य केंद्र की जमीन को विवाह घर के लिए देने का औचित्य और कंप्यूटर ऑपरेटर पुलिस भर्ती मामले में जानकारी तलब की है.

allahabad high court.
इलाहाबाद हाई कोर्ट.

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Published : Aug 6, 2020, 9:33 PM IST

प्रयागराज:इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 49,568 पुलिस कॉस्टेबल भर्ती 2018 में कट ऑफ मार्क से कम अंक पाने वालों के चयन व आरक्षण नियमों का उल्लंघन करने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 14 सितम्बर को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने राज प्रकाश व अन्य की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी गयी है, जिन्होंने शारीरिक दक्षता परीक्षा में कट ऑफ मार्क से कम अंक प्राप्त किये हैं और भविष्य में सेना से सेवानिवृत्त होने वाले लोगों को कोटे का लाभ दिया गया है. याचिका में चयन में धांधली का आरोप लगाया.

विशेष सचिव बताएं स्वास्थ्य केंद्र की जमीन को विवाह घर के लिए देने का औचित्य: हाई कोर्ट

दूसरे मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विशेष सचिव से सिद्धार्थ नगर सोहरतगढ़ की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए आरक्षित भूमि पर विवाह घर बनाने की अनुमति देने के औचित्य पर स्पष्टीकरण मांगा है और राज्य सरकार से पूछा है कि भूमि प्रकृति बदलकर उसे नगर पंचायत को कैसे स्थानान्तरित कर दिया गया है.

कोर्ट ने स्थायी अधिवक्ता बी. पी. सिंह कछवाहा से जानकारी मांगी है. याचिका की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने प्रेम कुमार पाण्डेय की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि 18 जुलाई 2020 को राज्य सरकार ने गाटा संख्या 222 एरिया 0.123 हेक्टेयर भूमि पर नगर पंचायत सोहरतगढ़ को विवाह घर बनाने की अनुमति दे दी. जबकि यह जमीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए चिह्नित की गयी थी.

कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ केन्द्र विवाह घर बनाने से ज्यादा जरूरी है. राज्य सरकार जनहित की अनदेखी कर ऐसा निर्णय कैसे ले सकती है.

कंप्यूटर ऑपरेटर पुलिस भर्ती मामले में जानकारी तलब

वहीं एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 666 कंप्यूटर ऑपरेटर पुलिस भर्ती 2017 में लिखित परीक्षा व कंप्यूटर टेस्ट में सफल घोषित अभ्यर्थियों की नियुक्ति की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है. याचिका की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने आशीष कुमार व अन्य की याचिका पर दिया है. याची अधिवक्ता मुजीब अहमद सिद्दीकी का कहना है कि याचीगण एससी व ओबीसी श्रेणी के हैं, जिन्हें अंतिम परिणाम में चयनित नहीं किया गया, जबकि वह हर टेस्ट में सफल घोषित किये गये हैं. इस कोटे की सीटें खाली हैं, इसलिए याचियों को मौका दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने ऐसी ही याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है, किन्तु अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है.

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