प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन संख्या 42 सन 2018 के तहत चयनित सहायक प्रोफेसरों को नियुक्ति देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश का पालन कर अनुपालन रिपोर्ट अदालत में दाखिल की जाए, मगर यह नियुक्तियां इस याचिका पर होने वाले निर्णय पर निर्भर करेंगी. इसके साथ ही कोर्ट ने विज्ञापन संख्या 42 को रद्द किए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर राज्य सरकार और उच्चतर शिक्षा आयोग तथा अन्य सभी पक्षों से जवाब तलब किया है.
विज्ञापन संख्या 42 को चुनौती देने वाली उदयवीर सिंह सोलंकी व अन्य अभ्यर्थियों की याचिका में कहा गया कि विज्ञापन संख्या 42 दूषित है. क्योंकि इसमें पूर्व की रिक्तियां को भी बैकलॉग के नाम पर जोड़ दिया गया है. जबकि उन पूर्व की रिक्तियां का कोई विज्ञापन नहीं जारी हुआ था. अधिवक्ता आलोक मिश्रा का कहना था कि इस मामले में पूर्व में डॉक्टर अर्चना मिश्रा ने याचिका दाखिल की थी और अब इन अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल की है. जिसमें विज्ञापन रद्द करने की मांग की गई है. पूर्व में दाखिल याचिका को कोर्ट ने पांच जजों की पीठ को संदर्भित कर दिया था, मगर पांच जजों की पीठ ने इस प्रकरण में उत्तर देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इस मामले में डॉक्टर विश्वजीत केस में खंडपीठ का आदेश अंतिम रूप ले चुका है और सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ के नजरिए की पुष्टि की है. इस स्थिति में दोनों याचिकाएं इस न्यायालय के समक्ष लंबित हैं.
दूसरी ओर चयनित अभ्यार्थियों आनंद बाबू व अन्य का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अनूप बरनवाल का कहना था कि विज्ञापन संख्या 42 अब भी प्रभावी है क्योंकि इस पर न तो कोई स्थगन आदेश है और न ही किसी प्रकार का अंतरिम आदेश है. डॉक्टर अर्चना का केस याचिका वापस लिए जाने के आधार पर खारिज हो चुका है और उसमें रिकॉल की अर्जी लंबित है. आज की तिथि तक उक्त विज्ञापन में कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ है, इसलिए चयनित अभ्यर्थी नियुक्ति पाने के हकदार है.