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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, राजेश वर्मा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की नए सिरे से जांच होगी - बलिया में रसड़ा निवासी राजेश वर्मा

बलिया के रसड़ा निवासी राजेश वर्मा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की नए सिरे से जांच करने का आदेश. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को आदेश दिया. राजेश वर्मा के खिलाफ जानलेवा हमला, षड्यंत्र और पाक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश

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Published : Dec 15, 2021, 11:06 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जानलेवा हमला, षड्यंत्र व पाक्सो एक्ट में दर्ज किए गए केस में आरोपी बलिया के रसड़ा निवासी राजेश वर्मा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की नये सिरे से जांच करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बलिया एसपी को आदेश दिया है कि वो सीओ रैंक के अधिकारी से मामले की छह महीने में फिर से जांच कराएं.

कोर्ट ने 6 माह यानी विवेचना पूरी होने तक याची के खिलाफ आपराधिक केस में कार्रवाई पर रोक लगाई है. यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने राजेश वर्मा की याचिका पर दिया. याची ने आरोप मुक्त करने की कोर्ट में अर्जी दी थी. राजेश वर्मा ने कहा कि उसे गलत फंसाया गया है. कोर्ट ने अर्जी खारिज कर चार्जशीट दाखिल करने का आदेश दिया था, जिसे चुनौती दी गई थी.

याची का कहना है कि दिनेश दत्त दुबे और दया शंकर वर्मा के बीच विवाद चल रहा है. वारदात 20 अप्रैल 2018 की है. एफआईआर 21 अप्रैल को दर्ज कराई गई थी. इसमें पीड़िता ने दिनेश दुबे का नाम दर्ज कराया है. पुलिस के बयान में भी यही दोहराया गया. विवेचना अधिकारी ने दिनेश दुबे को क्लीन चिट दे दी.

रानी जिसके कहने पर पीड़िता ने दरवाजा खोला था, पुलिस ने उससे पूछताछ तक नहीं की. पुलिस ने दूसरी कहानी बतायी कि जेल में साजिश रची गई. याची 27 जुलाई 2019 से जेल में बंद है. प्रथम शिकायत कर्ता ने कोर्ट में फिर से जांच करने की मांग को लेकर अर्जी दी थी, जो लंबित है. इस पर कोर्ट ने कहा कि नये सिरे से विवेचना की जानी चाहिए. कोर्ट ने एसपी को विवेचना कराने का निर्देश दिया.

दुराचार के आरोपी की सशर्त जमानत मंजूर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुराचार के आरोपी आकाश गुप्ता की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने दिया. अर्जी पर अधिवक्ता राधा कृष्ण पांडेय व मनीष पांडेय ने बहस की. इनका कहना था कि उसके खिलाफ थाना नंद ग्राम, गाजियाबाद में दुराचार के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. आरोप निराधार है, क्योंकि पीड़िता व याची ट्रैवेल एजेंसी चलाते थे.

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दोनों यात्रा पर भी जाया करते थे. वो लिव इन रिलेशनशिप में थे. पीड़िता शादीशुदा है. दोनों में व्यवसाय को लेकर विवाद हो गया, तो पीड़िता ने इस्तीफा दे दिया. दुराचार का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करा दी और मेडिकल जांच से भी इंकार कर दिया. सरकारी वकील का कहना था कि पुलिस व कोर्ट को दिए बयान में पीड़िता ने आरोप दोहराया है. कोर्ट ने स्थिति को देखते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली.

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