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दुष्कर्म के आरोपी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर की गुमराह की कोशिश, हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना - Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के फरार आरोपी द्वारा कोर्ट को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर गुमराह करने के बाद 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

25 हजार का जुर्माना
25 हजार का जुर्माना

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Published : Jul 12, 2023, 10:44 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के बाद फरार आरोपी द्वारा अदालत में फर्जी याचिका दाखिल कर गुमराह करने की कोशिश पर 25 हजार रूपये का हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हसन इदरीसी की खंडपीठ ने बुधवार को दिया.

आरोपी बांदा निवासी योग सागर की ओर से अपने पिता के माध्यम से याचिका दाखिल किया था. जिसमें कहा गया था कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था तथा उसके बाद उसे गायब कर दिया. अब उसका कुछ पता नहीं चल रहा है. मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया तथा डीजीपी यूपी से जानकारी तलब की थी. अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव और अपर शासकीय अधिवक्ता जेके उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि योग सागर घटना के बाद से फरार चल रहा है. 3 अप्रैल 2023 को उसे वारंट जारी किया गया तथा 25 अप्रैल 2023 को उसके खिलाफ कुर्की का नोटिस जारी हुआ. लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगा. इसके बाद में 5 जुलाई 2023 को पुलिस ने उसे मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से गिरफ्तार कर लिया.

दूसरी और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में दावा किया गया था कि घटना वाले दिन 15 फरवरी 2023 को पीड़िता के पिता ने पुलिस को फोन करके बुलाया था. पुलिस ने आरोपी योग सागर को मौके से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद पीड़िता के पिता व पुलिस वालों ने उसकी पिटाई की. साथ ही उसे न तो कोर्ट में पेश किया गया और न ही चालान किया गया. आरोपी के पिता का कहना था कि उसने बांदा एसपी को प्रार्थना पत्र देकर पूरी घटना की जानकारी दी थी. इस मामले में स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट की अदालत में भी प्रार्थना पत्र दिया था. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

हाईकोर्ट के निर्देश पर एसपी बांदा कोर्ट में स्वयं उपस्थित हुए तथा इस बात की जानकारी दी कि फरार चल रहे आरोपी योग सागर को मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से गिरफ्तार किया गया है. आरोपी को स्पेशल जज पॉस्को की अदालत में पेश करने के बाद न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है. याचिका पुलिस को बदनाम करने तथा अदालत को गुमराह करने की नियत से दाखिल की गई है. जबकि वास्तविकता यह है कि योग सागर स्वयं फरार चल रहा था. जिसे पुलिस ने 5 जुलाई को गिरफ्तार किया है. इस जानकारी के बाद मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हसन इदरीसी की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए याची पर 25 हजार रूपये का हर्जाना लगा दिया.


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